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कन्नौज: गर्मियों के मौसम में ज्यादातर किसानों के खेत खाली रहते हैं. ऐसे समय में मूंग की फसल एक बेहतर विकल्प बनकर सामने आई है. मूंग न सिर्फ खेत की उर्वरता को बेहतर बनाता है, बल्कि किसान की जेब भी भर सकता है. मौजूदा समय में मूंग की फसल में सिंचाई का विशेष ध्यान रखने का समय है. फसल लगने के 20 से 25 दिन के बाद पहली सिंचाई हो जानी चाहिए और उसके बाद समय पर सिंचाई का विशेष ध्यान रखें. कुछ कीट संबंधित समस्या आए तो तत्काल कृषि वैज्ञानिक के परामर्श से अच्छे कीटनाशक का प्रयोग करें.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर सुशील कुमार की मानें तो दलहनी फसलों में मूंग एक ऐसी फसल है जो कम लागत में अच्छी आमदनी दे सकती है. किसानों को बस कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और समय पर जरूरी कदम उठाने होंगे.

कब और कैसे करें मूंग की खेती?
कन्नौज में जब खेत गर्मियों में खाली हो जाते हैं, उस वक्त मूंग की बुआई सबसे फायदेमंद मानी जाती है. आमतौर पर इसकी बुआई अप्रैल महीने तक कर दी जाती है. मूंग के लिए सबसे बेहतर मिट्टी दोमट या हल्की जल निकास वाली होती है. खेत की तैयारी बारिश के एक-दो दिन बाद कर लेनी चाहिए, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे. एक एकड़ खेत में मूंग की बुआई के लिए 6 से 7 किलो बीज काफी होता है.

फसल उगाने के बाद इसकी पहली सिंचाई 20 से 25 दिन में कर लेनी चाहिए. इसके बाद सिंचाई का अंतराल तय करें, जिससे फसल को भरपूर पानी मिलता रहे. डॉक्टर सुशील बताते हैं कि सही समय पर पानी देने से उत्पादन अच्छा होता है और फसल में रोग लगने की आशंका कम हो जाती है.

ऐसे करें कीटों से बचाव
मूंग की फसल में अक्सर कुछ कीट लग जाते हैं, जैसे चित्तीदार धब्बे, थ्रिप्स और इली. इनसे बचाव के लिए जरूरी है कि किसान कीटनाशकों का सही इस्तेमाल करें. लेकिन याद रहे. यह काम कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से ही करें. गलत कीटनाशक या गलत मात्रा नुकसान भी कर सकती है.

कितनी होगी आमदनी?
डॉक्टर सुशील के मुताबिक, एक एकड़ में मूंग की फसल से करीब 8 से 10 क्विंटल उत्पादन मिल सकता है. मंडी के अनुसार भाव मिलने पर किसानों को अच्छी कमाई हो सकती है. इसके साथ ही दलहनी फसल होने की वजह से यह जमीन की उर्वरता को भी बढ़ाता है, जिससे अगली फसल भी बेहतर होती है.

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कृषि वैज्ञानिकों की मानें सलाह
डॉ. सुशील कुमार ने ‘लोकल 18’ से बातचीत में कहा कि किसान यदि वैज्ञानिक सलाह के मुताबिक मूंग की खेती करें तो उन्हें नुकसान की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार भी दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है.

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