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Khatti Ghas Health Benefits: नागौर की मिट्टी में उगने वाली खट्टी घास दिखने में भले साधारण लगे, लेकिन इसमें औषधीय गुण भरे हैं. गांवों में बच्चे इसे खट्टे स्वाद के लिए खाते हैं, जबकि आयुर्वेद में यह पाचन, फोड़े-फुंसी और खून की कमी जैसी समस्याओं में फायदेमंद बताई गई है. ग्रामीण इसे चटनी बनाकर भी खाते हैं, जो स्वाद के साथ सेहत को भी बढ़ाती है.
नागौर. गांव की मिट्टी में कुछ ना कुछ ऐसा छिपा होता है, जिसे हम अक्सर देखकर अनदेखा कर देते हैं. इन्हीं में से एक है खट्टी घास. जो खेतों की मेड़ पर या पगडंडी के किनारे या बरसाती नमी वाली जमीन पर उगती है. यह साधारण सी दिखने वाली हरी घास औषधि रूप में बहुत ही अद्भुत है. बच्चे इसके पत्ते तोड़कर मुंह में डालते हैं और खट्टे स्वाद का मजा उठाते हैं. यह ज्यादातर खेतों, बगीचों और नवी वाली जमीन पर अपने आप उगती है. इसका स्वाद नींबू जैसा खट्टा होता है इसलिए इसे खट्टी खास कहा जाता है. इसके बीज को छूते ही खुद ब खुद छिटक जाते हैं.
पोषक तत्वों से भी भरपूर है खट्टी घास
हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अंजू के अनुसार, यह फोड़े, फुंसी और घाव का इलाज करता है और इसकी पत्तियों को पीसकर फोड़ या घाव पर लगाने सूजन और जलन कम हो जाती है. घाव जल्दी भरने लगता है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र के लिए भी बेहद लाभकारी है. खट्टी खास की चटनी गैस, अपच और जलन को कम करता है और भूख भी बढ़ा देता है. हेल्थ एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को बीमारी से लड़ने की ताकत देता है. इसमें मौजूद आयरन और विटामिन सी मिलकर खून की कमी को दूर करने में मदद करते हैं. इसके साथ ही बवासीर में भी फायदेमंद है तथा मधुमक्खी या ततैया के डंक मारने पर भी इसके पत्तों को मसल कर लगाने से दर्द और सूजन में राहत मिलती है. यह भी कहा जाता है कि इसके पत्तों का लेप बनाकर सर दर्द की समस्या में लगाया जा सकता है.
खट्टी घास की चटनी बनाने की विधि
ग्रामीण शारदा देवी ने खट्टी घास की चटनी बनाने की विधि बताई हैं. उनके अनुसार सबसे पहले पत्तों को धोकर साफ कर लें, फिर हरी मिर्च, लहसुन, नमक और जीरा डालकर सिलबट्टे या मिक्सी पर पीस लें. चाहे तो इसमें टमाटर और प्याज भी डाल सकते हैं. तैयार चटपटी घास की चटनी स्वास्थ्य सेहत के साथ-साथ स्वाद को भी बढ़ती है. गांव की खेतों और पगडंडियों पर यूं ही उगने वाली यह घास असल में सेहत का खजाना है. तो अगली बार जब आपको यह नजर आए तो इसे जंगली पौधा समझ कर उखाड कर फेकना मत, बल्कि इसे खाने और देसी नुस्खे में जरूर अपनाएं.
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से News18 हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से News18 हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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