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बाढ़ के डर से परेशान हैं ग्रामीण
गंगा नदी के किनारे बसे कईली, कुरहना, भूपौली, डेरवा, महड़ौरा, कांवर, पकड़ी, महुअरिया, बलुआ, गंगापुर, महुआरी खास, विशुपुर, टांडाकला, सोनवरसा, सराय, महुअर कला, हरथन जुड़ा, चकरा, तोरगावा, हसनपुर, सहेपुर, नादी निधौरा और बड़गांवा जैसे गांवों में लोग बाढ़ के डर से परेशान हैं. खेतों में लगी सब्जियां, चारा और धान की नई रोपाई डूबने के कगार पर पहुंच गई है. गंगा घाटों की सभी सीढ़ियां पानी में डूब चुकी हैं और कई जगहों पर गांवों में पानी घुसने की स्थिति बन गई है.
स्थानीय ग्रामीण राजेन्द्र साहनी ने बताया कि पिछले दो दिनों से गंगा का पानी लगातार तेजी से बढ़ रहा है. इससे मिट्टी का कटाव हो रहा है और गांवों में पानी घुसने की आशंका बढ़ती जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से अधिकारी निरीक्षण करने तो आए थे, लेकिन उस दिन जलस्तर स्थिर था. अब जब स्थिति गंभीर हो रही है, तो कोई प्रशासनिक अधिकारी नजर नहीं आ रहा है.
अवैध मिट्टी खनन से बिगड़े हालात
एक अन्य ग्रामीण रामाज्ञा यादव ने बताया कि गंगा का जलस्तर पिछले दस दिनों से हर दिन 3 से 4 सेंटीमीटर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि बाढ़ का पानी अब रिंग रोड तक पहुंच चुका है, जिससे 50 से 70 बीघे धान की फसल डूब गई है. उनका आरोप है कि मिट्टी की अवैध खुदाई की वजह से पानी अब उन इलाकों तक पहुंच रहा है, जहां पहले कभी नहीं पहुंचा करता था.
ग्रामीण श्याम जी यादव ने बताया कि धान की रोपाई के समय खेतों में पानी भर जाने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं, गंगा का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि शवदाह स्थल भी पानी में डूब गया है, जिससे अंतिम संस्कार में भी परेशानी हो रही है.
ग्रामीण खुद कर रहे हैं तैयारी
प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. जरूरत पड़ने पर राहत सामग्री, नाव और अन्य जरूरी संसाधनों की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. ऐसे में गांवों के लोग खुद ही तैयारी में जुटे हुए हैं और अपने स्तर पर सुरक्षित रहने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने प्रशासन से तुरंत और ठोस कार्रवाई की मांग की है.
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