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Hair Transplant Deaths: हेयर ट्रांसप्लांट अगर गलत डॉक्टर से करवा लिया जाए, तो मौत हो सकती है. स्पेशलाइज्ड सर्जन ही हेयर ट्रांसप्लांट सुरक्षित तरीके से कर सकते हैं. किसी भी जगह सस्ते के चक्कर में यह सर्जरी नहीं …और पढ़ें

हेयर ट्रांसप्लांट सही जगह पर न कराएं, तो इंफेक्शन फैल सकता है.
हाइलाइट्स
- कानपुर में डेंटिस्ट द्वारा हेयर ट्रांसप्लांट से दो इंजीनियर्स की मौत.
- हेयर ट्रांसप्लांट हमेशा क्वालिफाइड सर्जन से ही करवाना चाहिए.
- सस्ते हेयर ट्रांसप्लांट से बचें, सही डॉक्टर से ही अपना इलाज कराएं.
Hair Transplant Safety Tips: यूपी के कानपुर से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक डेंटिस्ट अपने क्लीनिक में हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी कर रही थी. इसमें वह गड़बड़ी कर बैठी और दो इंजीनियर्स की मौत हो गई. अब इसे मामले पर बवाल मचा हुआ है. ऐसा पहली बार नहीं है, जब हेयर ट्रांसप्लांट के चक्कर में किसी की जान गई है. इससे पहले बिहार समेत कई जगहों पर लोग गलत हेयर ट्रांसप्लांट के कारण लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. आजकल हेयर ट्रांसप्लांट का ट्रेंड बढ़ गया है और हर गली-मुहल्ले में हेयर ट्रांसप्लांट करने का दावा करने वाली क्लीनिक और सैलून दिख जाएंगे. डॉक्टर्स की मानें तो सस्ते के चक्कर में लोग किसी भी जगह बाल प्रत्यारोपण करवा लेते हैं और इससे उनकी जान चली जाती है.
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. रमन शर्मा ने News18 को बताया कि हेयर ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रोसेस होती है. इसमें सिर के अन्य हिस्सों से बाल निकालकर गंजेपन वाली जगह पर ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. इसके कई तरीके होते हैं और यह प्रक्रिया काफी इफेक्टिव होती है. हालांकि हेयर ट्रांसप्लांट हमेशा किसी अच्छे हॉस्पिटल या क्लीनिक में करवाना चाहिए और आपका डॉक्टर क्वालिफाइड होना चाहिए. अगर डॉक्टर प्लास्टिक सर्जन नहीं होगा, तो इससे हेयर ट्रांसप्लांट के बाद गंभीर इंफेक्शन फैल सकता है और लोगों की मौत हो सकती है. हेयर ट्रांसप्लांट से पहले क्लीनिक, हॉस्पिटल और डॉक्टर के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए. इसके बाद ही यह प्रोसीजर कराना चाहिए.
डॉक्टर रमन शर्मा के अनुसार हेयर ट्रांसप्लांट करने से पहले मरीज के ब्लड टेस्ट से लेकर कई तरह के मेडिकल टेस्ट कराए जाते हैं. इसके बाद ही तय किया जाता है कि व्यक्ति ट्रांसप्लांट के लिए एलिजिबल है या नहीं. स्कैल्प में इंफेक्शन या अन्य स्किन डिजीज से जूझ रहे लोगों का हेयर ट्रांसप्लांट नहीं किया जाता है. 25 साल से कम उम्र के लोगों को भी इस प्रोसीजर की सलाह नहीं दी जाती है. जिन लोगों को मेंटल प्रॉब्लम्स होती हैं, उन्हें तब तक ट्रांसप्लांट की परमिशन नहीं दी जाती है, जब तक कि वे पूरी तरह ठीक न हो जाएं. दिल की बीमारियों, कैंसर, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को भी हेयर ट्रांसप्लांट अवॉइड करने का सजेशन दिया जाता है. ऐसे मरीजों को डॉक्टर्स के क्लीयरेंस की जरूरत होती है, ताकि कॉम्प्लिकेशन न हो.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आजकल कई हेयर सलून और पार्लरों में भी हेयर ट्रीटमेंट दिए जा रहे हैं, जहां डॉक्टर की देखरेख नहीं होती, जिससे इंफेक्शन फैलने का जोखिम बढ़ जाता है. लोगों को हमेशा हेयर ट्रीटमेंट सही डॉक्टर से करवाना चाहिए, ताकि इंफेक्शन से बचा जा सके. हेयर ट्रीटमेंट की कई तरह की विधियां होती हैं, जिनमें DGCI से मंज़ूरी प्राप्त दवाओं का उपयोग किया जाता है. ये दवाएं टेस्टेड होती हैं और इन्हें इस्तेमाल करने से पहले कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं. अगर किसी व्यक्ति को इन दवाओं से एलर्जी होती है, तो उनका उपयोग नहीं किया जाता. हेयर ट्रांसप्लांट से पहले एनस्थीसिया टेस्ट भी किया जाता है, ताकि किसी भी प्रकार के खतरे से बचा जा सके. ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टर एंटी-एलर्जिक और एंटीबायोटिक दवाएं भी देते हैं. जरूरत पड़ने पर स्टेरॉयड भी दिए जाते हैं. यह सब स्वैलिंग, इंफेक्शन और एलर्जी से बचाव के लिए किया जाता है.
डॉक्टर की मानें तो जब हेयर सलून और लोकल दुकानों पर ट्रीटमेंट किया जाता है, तो अक्सर मरीजों को इन दवाओं की आपूर्ति नहीं होती, जिससे खतरा और बढ़ जाता है. लोगों को किसी भी प्रकार का हेयर ट्रीटमेंट केवल डॉक्टर की सलाह पर अच्छे अस्पतालों में ही करवाना चाहिए. इसके अलावा ट्रीटमेंट से पहले जरूरी टेस्ट करवाना, उपचार के बाद उचित दवाइयों का सेवन करना और नियमित मॉनिटरिंग करना अत्यंत आवश्यक है. किसी भी प्रोडक्ट का इस्तेमाल बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं करना चाहिए, ताकि इंफेक्शन से बचा जा सके. कई बार लोग हेयर डाई का इस्तेमाल करते हैं, जिससे माथे, स्किन और आंखों में सूजन आ सकती है. ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि लोग किसी भी तरह की डाई का उपयोग न करें और इस विषय में डॉक्टर से परामर्श लें. अगर आप हेयर रीग्रोथ के लिए दवाएं लेते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि वे अप्रूव्ड और विशेषज्ञ की निगरानी में हों, ताकि आपको किसी प्रकार के साइड इफेक्ट्स से बचाया जा सके.

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें
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