[ad_1]
Last Updated:
हर्पीज एक वायरल संक्रमण है जो हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) के कारण होता है. यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, एचएसवी-1 (HSV-1) जो आमतौर पर मुंह और चेहरे पर घाव (कोल्ड सोर) का कारण बनता है, और दूसरा एचएसव…और पढ़ें

नैनीताल में बढ़ रहे हर्पीज के मामले
हाइलाइट्स
- नैनीताल में हर्पीज के मामले बढ़े.
- गर्मी और उमस से हर्पीज फैलता है.
- हर्पीज से बचाव के लिए साफ-सफाई रखें.
नैनीताल: गर्मियों की शुरुआत में ही उत्तराखंड के नैनीताल में हर्पीज वायरस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. चिकित्सकों के अनुसार, यह संक्रामक रोग आमतौर पर गर्मी और उमस के कारण अधिक फैलता है. उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने और उचित बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दी है. हर्पीज एक वायरल संक्रमण है जो हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) के कारण होता है. यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, एचएसवी-1 (HSV-1) जो आमतौर पर मुंह और चेहरे पर घाव (कोल्ड सोर) का कारण बनता है, और दूसरा एचएसवी-2 (HSV-2) यह ज्यादातर जननांगों को प्रभावित करता है.
क्या है कारण
नैनीताल के बीडी पाण्डे जिला अस्पताल की चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आरुषि गुप्ता के अनुसार, गर्मियों में पसीना अधिक आने से त्वचा पर नमी बनी रहती है, जिससे वायरस को सक्रिय होने और फैलने का अनुकूल वातावरण मिल जाता है. इसके अलावा, जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनमें यह वायरस तेजी से पनप सकता है. सार्वजनिक जगहों का अधिक उपयोग भी इस संक्रमण के प्रसार में सहायक हो सकता है.
ऐसे करें बचाव
हर्पीज से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए. अपने व्यक्तिगत सामान जैसे तौलिया, रेजर, लिप बाम आदि किसी के साथ शेयर नहीं करने चाहिए. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए संतुलित आहार लेना चाहिए और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए.
इलाज के लिए घरेलू नुस्खे ना अपनाएं
डॉ. आरुषि कहती हैं कि हर्पीज के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे नहीं अपनाने चाहिए. पहाड़ में हर्पीज होने पर एक खास तरह की लकड़ी को घिसकर संक्रमित जगह पर लगाने का प्रचलन है. ऐसा करना सही नहीं है. इससे आपको थोड़ी देर के लिए जरूर ठंडक मिलेगी, लेकिन इससे संक्रमण फैलने का खतरा रहता है. उन्होंने कहा कि हर्पीज होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. यदि समय पर इसका इलाज किया जाए तो यह नियंत्रित किया जा सकता है.
[ad_2]
Source link