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भारत के कई राज्यों में मक्के की खेती मुख्य फसल के रूप में उपजाई जाती है. उत्तर प्रदेश में भी मक्के की खेती होती है. गर्मी के मौसम में खेतों में लगी हुई फसल की विशेष रूप से सुरक्षा जरूरी हो जाती है. सिलसिलाती धूप के कारण फसलों के सूखने का खतरा होता है. ऐसे में कुछ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मक्के की फसल को सुरक्षित किया जा सकता है.

मक्के की खेती रवि खरीफ और जायद तीनों मौसम में कर सकते है. लेकिन मक्के की खेती सबसे ज्यादा खरीफ मौसम में की जाती है. इससे फसल की ज्यादा पैदावार भी होती है.

रवि सीजन में मक्के की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर तक सबसे उपयुक्त समय माना जाता है. इसके अलावा जायज सीजन के लिए फरवरी से मार्च तक का महीना सबसे उपयोगी होता है.

खरीफ सीजन में मक्के की बुवाई जून से जुलाई के बीच में करना सबसे उपयुक्त समय होता है. इस समय में खेत को सही तरह से तैयार कर फसलों की बुवाई की जा सकती है.

मक्का एक अनाज की फसल होती है. इसके साथ-साथ यह गर्म और ह्यूमिड क्लाइंट की फसल होती है. इसके लिए संतुलित तापमान होना बेहद आवश्यक होता है.

मक्के की खेती के लिए अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए 18 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है.

मक्के की उपज के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयोगी होती है. चाहे काली मिट्टी हो या दो मत या चिकनी मिट्टी हो मक्के की उपज सभी मिशन में की जा सकती है.

मक्के की फसल की बुवाई से पहले खेत को सही तरह से तैयार करने की आवश्यकता होती है. खेत की जुताई के बाद खेत मैं फसल लगाने के दौरान पानी की निकासी बेहद जरूरी होती है.

खेतों में अधिक पानी लगने के कारण फसल के खराब होने की भी संभावना होती है. ऐसे में खेत तैयार करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है कि पानी ज्यादा समय तक खेत में ना लगने पाए.
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