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लंबी उम्र तक शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और फिट रहने के लिए हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है. अक्सर उम्र बढ़ने के साथ लोगों में भूलने की समस्या, डिमेंशिया, अल्जाइमर की शुरुआत होने लगती है. डिमेंशिया में याद करने, सोचने-समझने की शक्ति, क्षमता सब प्रभावित होने लगती है. मूड स्विंग, व्यवहार में बदलाव, सीखने में परेशानी, कोई भी निर्णय लेने में समस्या आना आदि लक्षण नजर आने लगते हैं. ऐसे में बेहद जरूरी हो जाता है कि आप कम उम्र से ही ऐसी चीजों का सेवन करें जो दिमाग को हेल्दी और एक्टिव रखे. ब्रेन फंक्शन सही से काम करे. ब्रेन की सेहत को बूस्ट करने के लिए कुछ ब्रेन फूड्स हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें हैं, जिनके सेवन से आपको बचना चाहिए. कई ऐसी स्टडी सामने आई है, जो बताती हैं कि ब्रेन हेल्थ को सही रखने के लिए कुछ फूड्स को डाइट से निकाल देना ही बेहतर है. जानें, कौन से हैं वे तीन तरह के खाद्य पदार्थ या खानेपीने की आदतें, जिनसे दूरी बना ली तो डिमेंशिया का खतरा टला रहेगा.

न्यूरोसाइंटिस्ट्स के अनुसार, सेहत से संबंधित खराब आदतें, अनहेल्दी खानपान काफी हद तक कॉग्नेटिव फंक्शन पर नकारात्मक असर डालता है. धीरे-धीरे मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का रिस्क बढ़ने लगता है. ऐसे में भूलने की मानसिक समस्या से बचे रहने के लिए आप तीन खाद्य पदार्थों या आदतों से तौबा कर लें. ये हैं अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, खाने की ओवर हीटिंग करना और स्वीटनर्स का अधिक सेवन.

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड-अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में कई चीजें शामिल होती हैं जैसे चीनी, नमक, आर्टिफिशियल तत्व और अनसैचुरेटेड फैट्स की उच्च मात्रा होती है. ये सुविधाजनक, पैकेज्ड फूड्स मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं. एक स्टडी के अनुसार, अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड्स के सेवन के रिजल्ट खतरनाक हो सकते हैं. शोध में यूपीएफ से शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक असर साबित हुई है. इससे हार्ट डिजीज, कैंसर, मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम, नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर डिजीज, मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का जोखिम शामिल है.2022 में न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अगर आप रोजाना 10 प्रतिशत भी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (processed foods) का सेवन करते हैं तो मनोभ्रंश का जोखिम 25 फीसदी बढ़ जाता है.

ओवर हीटिंग के नुकसान- जब भोजन को ग्रिलिंग, फ्राइंग या ब्रॉइलिंग के माध्यम से उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो यह एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स (एजीई) बनाता है. ये ब्रेन में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को ट्रिगर करते हैं. इसका सीधा संबंध एमिलॉयड प्लेक से है. वही, जमा प्रोटीन जो अल्जाइमर रोग में दिमाग में बनते हैं. ऐसे में उच्च ताप पर खाना पकाने से बचें और जितना हो सके स्टीम कर पकाएं.

स्वीटनर- यदि आप चीनी की जगह कोई दूसरा स्वीटनर्स इस्तेमाल करते हैं तो ये भी सेहत के लिए अनहेल्दी साबित हो सकता है. एक स्टडी में कुछ आर्टिफिशियल स्वीटनर्स आपके आंतों में मौजूद बैक्टीरिया को कुछ इस तरह से बदल देते हैं कि इससे इंफ्लेमेशन का जोखिम बढ़ जाता है. यह सूजन कॉग्नेटिव फंक्शन्स को प्रभावित कर सकती है और संभावित रूप से न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के जोखिम को बढ़ा सकती है. अन्य स्टडी के अनुसार, आर्टिफिशियल स्वीटनर से पता चला है कि इसके लंबे समय तक इस्तेमाल से स्ट्रोक, समय से पहले मृत्यु का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है.

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