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बरसात का मौसम जहां हरियाली और राहत लेकर आता है, वहीं यह इंसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी कई बीमारियां लेकर आता है. इस मौसम में जानवरों को संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ जाता है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक, बरसात के दौरान पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि कई गंभीर बीमारियां इस समय जानवरों को अपनी चपेट में ले सकती हैं. इन्हीं खतरों में से एक है जानलेवा जूं, जो खासकर गाय-भैंस जैसे पशुओं में तेजी से फैलती है और समय रहते इलाज न किया जाए तो इनके लिए यह काल बन सकती है.

बरसात में इंसानों के साथ-साथ पशुओं में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इस मौसम में चिकित्सक विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. आमतौर पर बरसात में पशुपालक जानवरों की विशेष देखरेख करते हैं, क्योंकि इस समय कई घातक बीमारियां जानवरों को चपेट में लेती हैं.

बरसात के मौसम में ये खतरनाक जूं गाय-भैंस में संक्रमण पैदा कर देती है, जो तेजी से फैल सकता है. यह संक्रमण जानवरों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है.

अगर समय पर इस संक्रमण का समाधान नहीं किया गया, तो संक्रमित जानवरों की हालत गंभीर हो सकती है और दस दिन के भीतर उनकी मौत भी हो सकती है.

लहसुन का प्रयोग खासकर हर घर में होता है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि लहसुन के अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो खतरनाक परजीवियों से राहत दिलाने में मददगार होते हैं. जूं और किलनी से छुटकारा पाने के लिए पशुपालक लहसुन का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए पशु के शरीर पर सप्ताह में दो बार लहसुन का पेस्ट लगाना होगा.

बरसात में बढ़ती नमी और गंदगी के कारण गाय और भैंसों में जूं का संक्रमण तेजी से फैल सकता है. यह खतरनाक जूं जानवरों की त्वचा पर चिपक जाती है और उनका खून चूसती है, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है.

पशु एक्सपर्ट डॉ. नागेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि नीम की पत्तियों को 4 लीटर पानी में उबालें. 12 घंटे बाद पत्तियां निकालकर फेंक दें और पानी को रख लें. इसी तरह निर्गुण्डी (माला) की पत्तियों को 1 लीटर पानी में उबालें. 12 घंटे बाद पत्तियां हटाकर पानी को छान लें. अब दोनों को मिलाकर एक घोल तैयार करें और उसे एक डिब्बे में सुरक्षित रख लें.

बरसात के मौसम में पशु शेड की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. शेड को सूखा और हवादार बनाए रखने की कोशिश करें. बाजार में कई जूं रोधी दवा उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग पशुओं पर किया जा सकता है. संक्रमण के दौरान पशुओं के आहार में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ा दें.
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