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red napier grass farming: दूध का सेवन बच्चों से लेकर मरीज तक करते हैं. इससे तमाम तरह की मिठाइयां और पकवान बनाए जाते हैं. इसके लिए जरूरी है कि पशु पर्याप्त दूध दें.

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नेपियर

गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के दीनदयाल शोध संस्थान में नेपियर एक प्रकार का चारा है. इस चारे को दुधारू पशु को खिलाते हैं तो उनकी दूध देने की क्षमता काफी बढ़ जाती है. लोकल 18 से बातचीत के दौरान डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि लाल नेपियर पशुपालकों के लिए वरदान के रूप में देखा जा रहा है. लाल नेपियर एक बार लगाने पर 8 वर्ष तक इसकी कटाई की जा सकती है. 1 साल में 8 से 10 बार इस चारे को काटा जा सकता है. नेपियर को कहां लगाया जा सकता है और इससे जुड़ी और जरूरी जानकारी क्या हैं इस बारे में हम आपको आगे की जानकारी देने जा रहे हैं.

डॉक्टर अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि नेपियर को हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. रोग और कीट लगने की संभावना बहुत ही कम होती है इसीलिए किसान भाइयों को इसे लगाना चाहिए. यह पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होता है. डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि लाल नेपियर पशुपालकों के लिए वरदान के रूप में देखा जा रहा है. लाल नेपियर एक बार लगाने पर 8 वर्ष तक इसकी कटाई की जा सकती है.

नेपियर को कहां लगाएं
डॉ. अभिषेक बताते हैं कि इस चारे को भारत के किसी भी क्षेत्र में लगाया और पैदा किया जा सकता है. हर मौसम में इसकी बुवाई की जा सकती है. मुख्य रूप से इस चारे की बुवाई बरसात से पहले और सर्दी के मौसम से पहले की जाती है. लाल नेपियर को पानी की भी कम जरूरत होती है.

कितनी दूरी पर करनी चाहिए बुवाई
डॉक्टर अभिषेक बताते हैं कि नेपियर घास की बुवाई के लिए लाइन से लाइन यानी रो से रो 90 सेंटीमीटर और प्लांट से प्लांट 60 सेंटीमीटर दूरी होना चाहिए. नेपियर की बुवाई करने से पहले खेत की सिंचाई कर लें और उसके बाद लाल नेपियर के कलम को जमीन पर सीधा आकाश की ओर 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लेकर बुवाई कर दें.

पहली कटाई कितने दिन पर करनी चाहिए
डॉ अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि चारे की पहली कटाई 75 से 80 दिन में की जा सकती है. चारे की बुवाई के बाद समय-समय पर खरपतवार निकालना, चारे की सिंचाई करना, खेत की गुड़ाई करना और खाद डालना चाहिए.

क्या-क्या है पोषक तत्व
इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो दुधारू जानवरों के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन के लिए जरूरी है. नेपियर घास नियमित रूप से खिलाने से दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ता है. इसका सेवन करने से पशु स्वस्थ रहते हैं और साथ ही दूध की गुणवत्ता में भी सुधार होता है.

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