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Genda Flower Perfume: कन्नौज, इत्र नगरी, अब गेंदा के फूल से बनी रूह के लिए प्रसिद्ध हो रही है. गेंदा की रूह बनाने की पारंपरिक प्रक्रिया से 20-25 ग्राम रूह एक कुंतल फूलों से बनती है. इसकी कीमत ₹800-₹1000 प्रति 1…और पढ़ें

गेंदा की रूह
हाइलाइट्स
- कन्नौज में गेंदा की रूह की मांग बढ़ी.
- गेंदा की रूह की कीमत ₹800-₹1000 प्रति 10 ग्राम.
- गेंदा की रूह बनाने की प्रक्रिया पारंपरिक और मेहनतभरी.
कन्नौज: इत्र नगरी के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश का कन्नौज एक बार फिर अपने अनोखे इत्र के लिए सुर्खियों में है. यहां अब गेंदा के फूल से न सिर्फ इत्र बल्कि ‘रूह’ भी बनाई जा रही है, जिसकी मांग देश-विदेश तक बढ़ रही है. दरअसल, गेंदा से तैयार होने वाले इत्र दो तरह के होते हैं– एक है गेंदा इत्र, और दूसरा गेंदा की रूह. दोनों में बड़ा फर्क होता है. रूह फूलों की आत्मा कहलाती है. जबकि इत्र में तेल का प्रयोग होता है और इसे रूह की कुछ मात्रा से तैयार किया जाता है. रूह को बेस माना जाता है और इत्र उसमें घुलाया जाता है.
कैसे तैयार होती है गेंदा की रूह?
गेंदा की रूह बनाने की प्रोसेस बिल्कुल पारंपरिक होती है, जिसे डेग-भभका मेथड कहा जाता है. इसी मेथड से पहले इत्र बनाया जाता था, और अब उसी से रूह भी तैयार हो रही है. करीब एक कुंतल गेंदे के फूल से मात्र 20 से 25 ग्राम रूह बन पाती है. यह रूह वाष्प के रूप में निकलती है, जिसे बहुत सावधानी से इकट्ठा किया जाता है. इस प्रक्रिया में काफी मेहनत लगती है.
क्या है कीमत और क्या है खासियत?
गेंदा इत्र की खुशबू बेहद आकर्षक होती है और इसका प्रयोग खासतौर पर पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यक्रमों में किया जाता है, क्योंकि गेंदा का फूल भी ज्यादातर इन्हीं में प्रयोग होता है. कीमत की बात करें तो गेंदा इत्र करीब ₹400 प्रति 10 ग्राम मिलता है. वहीं रूह की कीमत ₹800 से ₹1000 प्रति 10 ग्राम तक होती है. रूह एक ऐसा आधार है जिससे कई किलो इत्र तैयार किया जा सकता है, इसलिए इसकी कीमत और महत्व दोनों ही ज्यादा हैं.
क्या कहते हैं इत्र व्यापारी?
कन्नौज के प्रसिद्ध इत्र व्यापारी शिवा त्रिवेदी बताते हैं कि, इत्र और रूह में बहुत फर्क है. एक कुंतल फूलों से केवल 20 से 25 ग्राम रूह बन पाती है, लेकिन इसी रूह से कई लीटर इत्र बनाया जा सकता है.
वे आगे बताते हैं, रूह बनाने की प्रक्रिया बेहद मेहनतभरी होती है. रूह बनाने के लिए लगातार 8 से 10 घंटे डेग भभका प्रक्रिया चलती है, इसमें रोज़ाना वाष्प के ज़रिए फूलों की आत्मा यानी रूह निकाली जाती है, जिसे बाद में संग्रहित किया जाता है.
कन्नौज की नई पहचान बन रही है गेंदा की रूह
कन्नौज पहले ही अपने गुलाब और केवड़ा जैसे फूलों से बने इत्र के लिए मशहूर था, लेकिन अब गेंदे से बनी रूह इस इत्र नगरी को नई पहचान दिला रही है. स्थानीय किसानों और इत्र व्यापारियों को इससे नई रोज़गार की संभावनाएं भी मिल रही हैं.
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