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बिलासपुर. छत्तीसगढ़ की पारंपरिक रसोई में कई देसी और पौष्टिक व्यंजन शामिल हैं, जिनमें से एक बेहद लोकप्रिय और स्वादिष्ट व्यंजन है ‘चनौरी भाजी’. यह भाजी खासकर गांवों में अधिक बनाई जाती है और घर के बड़े-बुजुर्गों के स्वाद को भी ताजगी देती है. सादगी भरे मसालों और स्थानीय सब्जियों से बनी यह डिश बेहद आसान और स्वास्थ्यवर्धक होती है.
इस व्यंजन को बनाने के लिए सबसे पहले 1 पाव चनौरी भाजी को साफ कर एक पतीले में रख लें. इसके साथ 6 बड़े टमाटर, 2 प्याज, 1 कली लहसुन और 8 हरी मिर्च को बारीक काट लें. एक छोटी कटोरी चना दाल को भी एक घंटे तक पानी में भिगोकर रख दें, ताकि वह पकने में आसानी हो.
ऐसे तैयार कर सकते हैं चनौरी भाजी
गैस पर पतीला चढ़ाएं और उसमें एक गिलास पानी डालकर उसमें भीगी हुई चना दाल डालें. जब पानी उबलने लगे, तब उसमें चनौरी भाजी डालें और दोनों को मिलाकर 2 मिनट तक पकाएं. इसके बाद इसमें कटे हुए टमाटर और स्वादानुसार नमक डालें. पतीले को ढक दें और 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें, बीच-बीच में चम्मच से चलाते रहें. अब एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और उसमें पहले हरी मिर्च डालें. फिर प्याज और लहसुन डालकर सुनहरा होने तक भूनें. इसके बाद कटे हुए टमाटर डालें और जब तक टमाटर पूरी तरह से गल न जाएं, तब तक पकाते रहें. ये तड़का पूरे व्यंजन में खुशबू और स्वाद दोनों को निखार देता है.
गांव की यादों से जोड़ती है चनौरी भाजी की रेसिपी
टमाटर गल जाने के बाद, जो भाजी पहले से उबली हुई रखी थी, उसे तड़के वाली कढ़ाई में डालें. अच्छे से मिलाएं ताकि मसाले हर तरफ से भाजी में समा जाएं. इसे ढककर 2 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें. ये आखिरी पकाव भाजी को परफेक्ट स्वाद देता है. अब आपकी पारंपरिक और पौष्टिक छत्तीसगढ़ी चनौरी भाजी परोसने के लिए तैयार है. इसे आप गरमा-गरम रोटी, फुलका, भात या फरा के साथ खा सकते हैं. इसकी देसी खुशबू और चना दाल के साथ मिला गाढ़ा स्वाद खाने वालों के मन को तृप्त कर देता है. छत्तीसगढ़ की यह रेसिपी न सिर्फ पेट को तृप्त करती है, बल्कि दिल को भी छू जाती है. अगर आप छत्तीसगढ़ी संस्कृति, स्वाद और परंपरा को अपने भोजन में अपनाना चाहते हैं, तो चनौरी भाजी ज़रूर आज़माएं. यह रेसिपी आपको आपके गांव की यादों से जोड़ देगी.
विटामिन और मिनरल से भरपूर है चनौरी भाजी
डाइटिशियन डॉ. कविता पुजारा के अनुसार, चनौरी भाजी एक संतुलित और पौष्टिक भोजन का बेहतरीन उदाहरण है. इसमें उपयोग की गई चना दाल प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है, जो न केवल पाचन को दुरुस्त रखती है, बल्कि लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराती है. वहीं, टमाटर, प्याज और लहसुन जैसे ताजे तत्व इसे एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर बनाते हैं. चनौरी जैसी देसी साग शरीर को आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स देती है, जो शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने में सहायक है. डॉ. कविता बताती हैं कि यह भाजी खासकर बच्चों, बुज़ुर्गों और डायबिटीज़ मरीजों के लिए भी एक हेल्दी विकल्प है, क्योंकि इसमें अधिक तेल या मसाले नहीं होते. अगर इसे रोटी या भात के साथ संतुलित मात्रा में खाया जाए, तो यह रोज़ाना के भोजन में पोषण का आदर्श स्रोत बन सकती है.
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