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आज के समय में खेती-किसानी में कुछ ऐसी फसलें हैं, जिनकी खेती करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. यदि इन फसलों की बुवाई और देखभाल सही सीजन में की जाए तो यह बाजार में अच्छे रेट में बिकती हैं. ऐसी ही एक फसल है चना, जिसकी मांग बाजार में बहुत अधिक है और इसकी खेती कर किसान लाखों रुपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं.

चना एक ऐसी फसल है जिसकी बाजार में मांग और मूल्य दोनों अधिक रहते हैं, जिससे किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है. चने से अधिक पैदावार और बेहतर मुनाफा पाने के लिए किसानों को सही समय पर बुवाई करने और उन्नत किस्मों का चयन करने की आवश्यकता होती है. कुछ विशेष किस्में ऐसी हैं, जिनमें कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है और ये किसानों के लिए कम लागत में अधिक उत्पादन सुनिश्चित करती हैं.

कृषि रक्षा अधिकारी विजय कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि चने की खेती पहले की तुलना में कम होने लगी है, लेकिन मुनाफा कहीं अधिक है. वहीं, किसान अगर इसकी खेती करना चाहते हैं तो अक्टूबर के महीने में कर सकते हैं. इसकी कुछ उन्नत किस्में हैं, जो कम लागत और कम समय में अच्छी पैदावार के साथ बढ़िया मुनाफा देती हैं.

धीरा एनबीईजी 47 चने की इस किस्म को साल 2017 में विकसित किया गया. यह किस्म 90 से 105 दिन की अवधि में कटाई के लिए तैयार हो जाती है और जल्दी तैयार होने वाली चने की किस्म मानी जाती है. इस किस्म से 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

जी.एन. जी. 2144 चने की इस किस्म की बुवाई दिसंबर के पहले सप्ताह तक की जा सकती है. बीज मध्यम आकार के और हल्के भूरे रंग के होते हैं. इसकी फसल 130-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उपज 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मानी गई है.

फुले 9425 चना अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में शामिल है. इस किस्म की बुवाई का समय अक्टूबर से नवंबर के मध्य होता है. चने की यह किस्म 90 से 105 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इससे अधिकतम 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

पूसा 256 चना सिंचित और असिंचित दोनों परिस्थितियों में पछेती रोपाई के लिए उपयुक्त किस्म है. इस किस्म के अधिकांश पौधे लंबे और सीधे होते हैं, और बीज रोपाई के लगभग 130 दिन के आस-पास पककर तैयार हो जाते हैं.

वरदान चना सामान्य ऊंचाई के पौधों वाली किस्म है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 150 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों पर गुलाबी-बैंगनी रंग के फूल लगते हैं, जबकि दानों का रंग गुलाबी-भूरा होता है. प्रति हेक्टेयर इस किस्म से लगभग 20 से 25 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
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