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भारतीय टीम ने अंतिम बार धोनी की कप्तान में चैंपियंस ट्रॉफी जीता था और उसके बाद से कप्तानी विराट रोहित से होते हुए कई लोगों के पास जा चुकी है . 12 साल बाद जब भारतीय टीम इस टूर्नामेंट को जीतने के लिए अपना सफर…और पढ़ें
मेलबर्न. जैसे रणभूमि में सिर्फ़ सेनापति होता है जिसके निर्देश का पालन सभी करते हैं ठीक उसी तरह क्रिकेट खेल यानि रनभूमि में भी सिर्फ़ एक कप्तान जिसमें जान हो वहीं खेल को चलाने के लिए काफ़ी होता है . यानि युध्द और खेल दोनों ही जगह ज़्यादा फ़ैसले लेने वाले लोग हों तो उसका नुक़सान तो होगा ही . मुद्दा ये है कि पिछले 5 साल में भारतीय क्रिकेट में बेहतर खिलाड़ी कम और कप्तान ज्यादा बनाए है और जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट आता है तो टीम में ढेर सारे कप्तान नजर आते है जिनकी महत्वाकांक्षा कप्तान बनने की खत्म नहीं हुई है.
अब भारतीय टीम को ही ले लीजिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जो भारतीय टीम गई उसमें कुल मिलाकर चार कप्तान थे दो ने कप्तानी भी कि तो ख़बरें ये भी आईं कि इनमें से एक और कप्तानी करना चाहता था . ख़ैर ये तो बीते ज़माने की बात हो गई अब भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफ़ी के लिए दुबई जाना है पर समस्या इस बार और बड़ी होती नज़र आ रही है क्योंकि पूरी कप्तानों की फ़ौज जाने को तैयार है. कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार प्लेइंग इलेवन में 4-5 कप्तान के साथ रोहित शर्मा खेलते हुए दिखाई दे.
चैंपियंस ट्रॉफी में कप्तानों की फौज
2025 की शुरुआत भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत अच्छी नहीं रही और अब चैंपियंस ट्रॉफी से फैंस को वापसी का इंतजार है . लेकिन सवाल बड़ा ये कि कप्तानों की फौज के साथ ये कितना संभव है .
टीम में रेगुलर कप्तान के साथ पांच और कप्तान दुबई जा सकते हैं . विराट कोहली , हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह ,सूर्यकुमार यादव और ऋषभ पंत भारतीय टीम की कप्तानी कर चुके हैं और के राहुल टीम में चुने गए तो वो छठे कप्तान होगें जो भारतीय टीम के साथ दुबई जाएँगे. यानि भारत इस बार सात कप्तानों के साथ किसी बडें टूर्नामेंट में शिरकत करेगा. सात कप्तान होना कोई बड़ी बात नहीं पर कप्तानों का एक पेज पर होना ज़रूर बड़ी बात होगी क्योंकि सबकी अपनी ढफली अपना राग वाला फ़ार्मूला चलाया तो एक और टूर्नामेंट में ख़ाली हाथ लौटना पड़ेगा.
2013 में सिर्फ़ एक कप्तान
महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी जीता था तब टीम में एक ही लीडर हुआ करता था . इसके बाद से बढ़ती क्रिकेट और खिलाड़ियों की फिटनेस की वजह से लगातार कप्तान बदलते रहे यहीं वजह है कि पूरी टीम में कप्तानों की लंबी क़तार नज़र आ रही है . 2025 में आठ टीमें चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेंगी पर किसी भी टीम के पास इतने कप्तान नहीं हैं जितने भारतीय टीम लेकर दुबई पहुंचेगी . रोहित जो 2013 में मिली जीत का हिस्सा थे वो तब के कप्तान और टीम को समझते हैं . इस बार टीम शानदार खिलाड़ियों से ज़्यादा जानदार कप्तानों से लैस है जितने सिर उतने दिमाग़ लगातार रोहित को परेशान करेगें और ये बहुत बड़ा चैलेंज होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में कप्तानी को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब ये नई परेशानी मुँह खोले टीम के रेगुलर कप्तान का इंतज़ार कर रही है .
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