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छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर से हो चुकी है. इस त्योहार पर हर छठ घाट पर अलग ही रौनक दिखती है. महिलाएं व्रत करती हैं और पानी में खड़े होकर डूबते और उगते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं. इस दौरान हर महिला की मांग में नारंगी रंग का सिंदूर सजता है. इसे भखरा सिंदूर कहते हैं. इस तरह का सिंदूर भारत में केवल पूर्वांचल में ही लगाया जाता है. भखरा सिंदूर का बहुत महत्व है.
नारंगी सिंदूर शुभ माना जाता है
सिंदूर 3 रंग के होते हैं-नारंगी, लाल और गुलाबी. अधिकतर जगहों पर लाल सिंदूर लगाया जाता है लेकिन बिहार, झारखंड समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में नारंगी सिंदूर का महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखा तो पूछा कि वह सिंदूर क्यों लगा रही हैं. माता सीता ने जवाब दिया कि यह उनका भगवान राम के प्रति समर्पण हैं. ऐसे में हनुमान जी ने अपने शरीर पर नारंगी सिंदूर लगाना शुरू किया इसलिए हर हनुमान मंदिर में वह नारंगी सिंदूर में दिखते हैं. नारंगी सिंदूर पत्नी का पति के प्रति समर्पण का प्रतीक है.
शादी में लगता है भखरा सिंदूर
ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु दत्त कहते हैं कि पूर्वांचल में शादी में भखरा सिंदूर से दुल्हन की मांग भरी जाती है. इस सिंदूर को सूर्योदय के समय सूरज की किरणों के रंग की तरह माना जाता है. हल्का नारंगी सिंदूर सुबह की नई किरण की तरह है. जैसे सुबह सूरज की किरणें दुनिया में नई ताजगी के साथ नए दिन की शुरुआत करती हैं, इसी तरह मान्यता है कि नारंगी सिंदूर दुल्हन के जीवन में खुशियों की शुरुआत लेकर आता है.
सिंदूर को हिंदू धर्म में सोलह श्रृंगारों में से एक माना जाता है (Image-Canva)
पौधे के बीज से बनता सिंदूर
हिंदू धर्म में सिंदूर लगाने की प्रथा 5 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसका रामायण और महाभारत दोनों में जिक्र है. सिंदूर सुहाग की निशानी माना जाता है. सिंदूर नैचुरल होता है जिसे बिक्सा ओरेलाना नाम के पौधे से बनाया जाता है. इसे कमिला या सिंदूर का पौधा भी कहते हैं. इस पौधे के बीज को सुखाकर सिंदूर तैयार किया जाता. यह पौधा दक्षिण अमेरिका के अलावा भारत में हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में उगाया जाता है. नारंगी सिंदूर बिना मिलावट का होता है लेकिन लाल सिंदूर में कई बार सिंथेटिक रंग और लेड मिलाया जाता है. सिंदूर खरीदते समय असली और नकली की पहचान करना आसान है. सिंदूर को हाथ से उगड़े और फूंक मारें. नकली सिंदूर हाथों में चिपका रहेगा.
लगभग 9022 साल पहले मिला था सिंदूर
सिंदूर के बारे में भले ही कई पौराणिक कथाओं में लिखा गया हो, इसका पौधा भी हो लेकिन मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के अनुसार सिंदूर जिसे अंग्रेजी में Vermilion कहते हैं, इसकी खोज लगभग 9022 साल पहले कैटलहोयुक में हुई जो इस समय तुर्किये में है. लाल-नारंगी रंग को सिनेबार नाम के खनिज से निकाला गया. सिनेबार ज्वालामुखी के लावा से बनते हैं. इसका इस्तेमाल प्राचीन रोम में पेंटिंग बनाने के लिए किया जाता था. इससे दीवारों और फर्श को भी रंगा जाता था. शुरुआत में इसे जहरीला माना गया था. चीन में पहली बार मरकरी और सल्फर को मिलाकर सिंथेटिक सिंदूर बनाया गया.
मिलावटी सिंदूर से सिर में खुजली, दाने या स्किन इंफेक्शन हो सकता है (Image-Canva)
सिंदूर लगाने से सेहतमंद रहती हैं महिलाएं
2017 में सेमियोटिक स्टडी ऑफ सिंदूर (Semiotic Study of Sindoor) नाम से रिसर्च पेपर तैयार किए गए. इसमें कहा गया कि सिंदूर को सिर पर पिट्यूटरी ग्लैंड के पास लगाया जाता है. पिट्यूटरी ग्लैंड से भावनाएं नियंत्रित रहती हैं. असली सिंदूर में फिटकरी, हल्दी और चंदन जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है. एंग्जाइटी और स्ट्रेस दूर होता है. इससे महिला के मन में अपने पति के लिए प्यार बढ़ता है. आयुर्वेद के अनुसार सिंदूर लगाने से माथे का चक्र यानी आज्ञा चक्र सक्रिय होता है जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. कुछ रिसर्च में यह भी कहा गया कि सिंदूर लगाने से महिला शांत रहती है. उनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और लिबिडो में बढ़ोतरी होती है.
लाल और नारंगी सिंदूर में अंतर
लाल और नारंगी सिंदूर में रंग के अलावा कोई फर्क नहीं है. दोनों ही सुहाग की निशानी हैं. लाल रंग के सिंदूर को माता पार्वती से जोड़ा जाता है और नारंगी सिंदूर को माता सीता से. लाल रंग का सिंदूर शक्ति का प्रतीक है इसलिए नवरात्रों में और दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर खेला में लाल सिंदूर का इस्तेमाल होता है. दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उमा देवी कहती हैं कि माना जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी. इसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने शर्त रखी कि वह पार्वती से तभी शादी करेंगे जब वह अपनी तीसरी नेत्र का त्याग करेंगी. तीसरी नेत्र माथे में थी. पार्वती ने यह शर्त मान ली और जिस दिन उनकी शादी हुई, भगवान शिव ने उनकी तीसरी आंख निकाल दी जिससे मां पार्वती के माथे से खून बहने लगा. इसी जगह महिलाएं सिंदूर लगाती हैं.
Tags: Apna bihar, Bihar Chhath Puja, Chhath Mahaparv, Chhath Puja, Durga Puja festival, Mahabharat, Ramayan
FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 17:10 IST
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