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Mirzapur Kaimur Forest Range: जंगली जानवरों की संख्या हर साल वन विभाग की ओर से जारी किया जाता है. एक ही रंग और एक ही जैसे दिखने वाले जानवरों की संख्या पता करने के लिए वन विभाग पदचिन्हों का इस्तेमाल करती है. फॉर…और पढ़ें

जंगल के खतरनाक जानवरों की कैसे होती है गिनती, जानकर हो जाएंगे हैरान

प्रतीकात्मक तस्वीर

मिर्जापुर: अक्सर आप सुनते हैं कि जंगल में जानवरों की संख्या में वृद्धि हुई है या फिर कमी हुई है. जंगली जानवरों की संख्या को लेकर समय-समय पर डाटा आते रहते हैं, लेकिन आपने कभी सोचा है कि यह डाटा कैसे मिलता है और कैसे संख्या काउंट होती है. कौन से पैरामीटर हैं, जिससे जानवरों की गणना हो जाती है. आपके सारे सवालों का जवाब हमारे इस खबर में हैं. हम आपको बताएंगे कि कैसे वन विभाग की टीम जंगल में जानवरों को काउंट करती है और डाटा तैयार करती है, जिससे जानवरों की संख्या मालूम हो सके.

जानें कौन-कौन हैं जंगली जानवर

मिर्जापुर के कैमूर वन रेंज में गोल्डेन जैकाल, तेंदुआ और कालाहिरण सहित कई अन्य जंगली जानवर पाए जाते हैं. हर साल वन विभाग की ओर से जानवरों का डाटा जारी किया जाता है. जंगल में एक रंग और एक ही जैसे दिखने वाले जानवरों की संख्या जोड़ने के लिए वन विभाग पदचिह्न का इस्तेमाल करती है. हर जानवर का अलग पदचिन्ह होता है.

यही वजह है कि जानवरों के पदचिन्ह से एक जैसे न होने पर उनकी संख्या मालूम हो जाती है. मिर्जापुर के कैमूर वन रेंज में काला हिरण और अन्य जानवरों को गिनती करीब 3 सालों में एक बार की जाती है. ताकि जानवरों की संख्या में वृद्धि हो सके.

फॉरेस्ट गार्ड की लेनी पड़ती है मदद

कैमूर वन रेंज के वन्य जीव प्रतिपालक अरविंद कुमार ने बताया कि काला हिरण की गणना करीब तीन सालों में एक बार होती है. जानवरों की गणना पदचिन्हों से की जाती है. पदचिन्हों से ही उनकी संख्या पता चल जाती है. गणना में विभागीय कर्मचारियों और फॉरेस्ट गार्ड की माध्यम से कराई जाती है. जंगल में पदचिन्हों को देखकर ही पता चल जाता है कि यहां पर किस जानवर के पैर पड़े हुए हैं. उसी आधार पर संख्या जारी किए जाते हैं.

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जंगल के खतरनाक जानवरों की कैसे होती है गिनती, जानकर हो जाएंगे हैरान

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