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Bahraich News: बेंत के पेड़ से बनने वाला केन फर्नीचर टिकाऊ और सुंदर होता है. बहराइच के कर्तनीय घाट के जंगलों में बेंत पेड़ पाए जाते हैं. इसकी छाल को गर्म करके फर्नीचर बनाया जाता है.
हाइलाइट्स
- बेंत की लकड़ी से बनता है टिकाऊ केन फर्नीचर
- बहराइच के जंगलों में बेंत पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं
- केन फर्नीचर की बुनाई में ट्विनिंग तकनीक का उपयोग होता है
बहराइच: आपने केन फर्नीचर का नाम तो जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फर्नीचर किस पेड़ से बनता है और इसकी तैयारी की प्रक्रिया कितनी मेहनत भरी होती है. दरअसल, यह फर्नीचर जंगलों में पाए जाने वाले एक खास तरह के पेड़ “बेंत” से तैयार किया जाता है. यह लकड़ी बेहद मजबूत और लचीली होती है, जिससे बनने वाला फर्नीचर सालों तक चलता है और बाजार में इसकी कीमत भी काफी अच्छी होती है.
बेंत की लकड़ी से बनने वाले केन फर्नीचर न केवल टिकाऊ होते हैं, बल्कि देखने में भी बहुत सुंदर लगते हैं. यही वजह है कि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. खास बात यह है कि बहराइच के कर्तनीय घाट के जंगलों में यह पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, जो यहां की प्राकृतिक सुंदरता को भी बढ़ाते हैं.
कैसे तैयार होता है केन फर्नीचर
केन फर्नीचर बनाने के लिए सबसे पहले बेंत के पेड़ की छाल को सावधानी से उतारा जाता है. इसके बाद छाल को अच्छे से साफ करके आग पर गर्म किया जाता है ताकि यह मुलायम हो जाए और मनचाहे आकार में ढाला जा सके. जब यह पूरी तरह तैयार हो जाती है, तब इससे फर्नीचर के ढांचे बनाए जाते हैं, जो आगे चलकर कुर्सी, मेज, सोफा या झूले का रूप लेते हैं.
केन फर्नीचर बनाने के लिए सबसे पहले बेंत के पेड़ की छाल को सावधानी से उतारा जाता है. इसके बाद छाल को अच्छे से साफ करके आग पर गर्म किया जाता है ताकि यह मुलायम हो जाए और मनचाहे आकार में ढाला जा सके. जब यह पूरी तरह तैयार हो जाती है, तब इससे फर्नीचर के ढांचे बनाए जाते हैं, जो आगे चलकर कुर्सी, मेज, सोफा या झूले का रूप लेते हैं.
फ्रेम की मजबूत नींव
फर्नीचर का ढांचा यानी फ्रेम बनाने के लिए लकड़ी, स्टील या एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया जाता है. पहले इन्हें काटकर मनचाहे आकार में तैयार किया जाता है, फिर कीलों या अन्य साधनों से जोड़ा जाता है. इसके बाद उस पर बेंत की छाल को सावधानी से लपेटा जाता है, जिससे वह एक सधा हुआ आकार ले लेता है.
केन की बुनाई है सबसे खास
फर्नीचर को मजबूत और सुंदर बनाने के लिए केन की बुनाई की जाती है. इसमें बेंत की छाल को गर्म या भिगोकर लचीला किया जाता है. इसके बाद इसे फ्रेम पर इस तरह बुना जाता है कि अलग-अलग डिज़ाइन और पैटर्न उभरकर सामने आते हैं. बुनाई की प्रक्रिया में “ट्विनिंग” जैसी पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें केन की पट्टियों को एक-दूसरे के ऊपर और नीचे से गुजारा जाता है.
फर्नीचर को मजबूत और सुंदर बनाने के लिए केन की बुनाई की जाती है. इसमें बेंत की छाल को गर्म या भिगोकर लचीला किया जाता है. इसके बाद इसे फ्रेम पर इस तरह बुना जाता है कि अलग-अलग डिज़ाइन और पैटर्न उभरकर सामने आते हैं. बुनाई की प्रक्रिया में “ट्विनिंग” जैसी पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें केन की पट्टियों को एक-दूसरे के ऊपर और नीचे से गुजारा जाता है.
चमकदार फिनिश से बढ़ती है शोभा
बुनाई पूरी होने के बाद कारीगर तैयार फर्नीचर पर सुंदर और चमकदार पॉलिश करते हैं, जिससे उसकी लुक और ज्यादा आकर्षक हो जाती है. इस पॉलिश की वजह से फर्नीचर लंबे समय तक नया और टिकाऊ बना रहता है. यही नहीं, यह घर की शोभा भी बढ़ाता है.
बेंत एक झाड़ी जैसा पेड़ होता है, जिसकी टहनियों में कांटे होते हैं और पत्ते खजूर के पत्तों जैसे दिखते हैं. यह जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है, लेकिन अब इसकी खेती भी कई जगह शुरू हो गई है. बहराइच के कर्तनीय घाट के जंगलों में भी ये काफी मात्रा में उगता है.
यह भी पढ़ें: भूत लेकर निकला कांवड़, बम-बम भोले के लगाए जयकारे, नजारा देख लोग बोले- ‘ये तो सच में…’
बुनाई पूरी होने के बाद कारीगर तैयार फर्नीचर पर सुंदर और चमकदार पॉलिश करते हैं, जिससे उसकी लुक और ज्यादा आकर्षक हो जाती है. इस पॉलिश की वजह से फर्नीचर लंबे समय तक नया और टिकाऊ बना रहता है. यही नहीं, यह घर की शोभा भी बढ़ाता है.
बेंत एक झाड़ी जैसा पेड़ होता है, जिसकी टहनियों में कांटे होते हैं और पत्ते खजूर के पत्तों जैसे दिखते हैं. यह जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है, लेकिन अब इसकी खेती भी कई जगह शुरू हो गई है. बहराइच के कर्तनीय घाट के जंगलों में भी ये काफी मात्रा में उगता है.
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