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Success Story : शिव प्रताप शुक्ल, 2011 बैच के पीसीएस अधिकारी, ने 4 बार असफलता के बावजूद मेहनत से सफलता पाई. अपने शिक्षक पिता का सपना पूरा करने के लिए वो असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी पाकर भी खुश नहीं हुए. उन्होंन…और पढ़ें

शिव प्रताप शुक्ल
हाइलाइट्स
- शिव प्रताप शुक्ल ने 4 बार असफलता के बाद सफलता पाई.
- उन्होंने 2011 में पीसीएस अधिकारी बन पिता का सपना पूरा किया.
- शिव प्रताप ने मनोविज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएशन किया.
झांसी : सफलता सबको अच्छी लगती है. सफलता अगर पहली बार मिल जाए तो उससे बेहतर कुछ नहीं होता. लेकिन, अगर सफलता से चूक जाएं तो खुद को मोटिवेट रखना सबसे अधिक कठिन होता है. कई असफलताओं के बाद भी मेहनत और लगन से पढ़ाई करना बेहद मुश्किल होता है. लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हार नहीं मानते. ऐसी ही कहानी है झांसी के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) शिव प्रताप शुक्ल की.
शिव प्रताप शुक्ल 2011 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं. यह उनकी 7 वीं पोस्टिंग है. लोकल 18 से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह मूलतः प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं. पिता एक डिग्री कॉलेज में शिक्षक थे. शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने मनोविज्ञान विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन और नेट की परीक्षा पास की. इसके बाद उन्हें डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल गई. लेकिन, मन तो कहीं और था. पिता की इच्छा बेटे को अधिकारी बनते देखने की थी. पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी शुरु कर दी.
5 वीं बार में मिली सफलता
शिव प्रताप शुक्ल बताते हैं कि पहली बार सफलता नहीं मिली. लेकिन, हिम्मत नहीं हारी. फिर दोबारा प्रयास किया. लगातार 4 बार असफल रहे. कभी मेंस तो कभी इंटरव्यू तक जाकर लौट आए. इसके बाद भी मेहनत करते रहे. इस दौरान मनोविज्ञान विषय की पढ़ाई उनके बहुत काम आई. मन पर नियंत्रण होने से वह खुद को मोटिवेट रखते थे. शिव प्रताप शुक्ल ने एक बार फिर प्रयास किया. इस बार मेहनत रंग लाई. 2011 में वह प्रदेश के टॉप 15 रैंकर्स में रहे.
सही दिशा में करें मेहनत
शिव प्रताप कहते हैं कि जो युवा सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं वह सही दिशा में मेहनत करते रहें. सफलता अवश्य मिलेगी. अपने नोट्स अच्छी तरह तैयार करें. असफल हो जाएं तो दोगुनी उत्साह से मेहनत करें. सही दिशा में अगर मेहनत की जाए तो सफलता जरूर मिलती है.
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