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Health News: जन्म के समय अगर बच्चा रो नहीं रहा है. तो यह एक खतरनाक संकेत है. आपका बच्चा बर्थ एस्फिक्सिया शिकार हो सकता है. इस बीमारी से ग्रसित बच्चे के दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है.
पीयूष शर्मा/मुरादाबाद: मुरादाबाद के जिला महिला अस्पताल में सालभर में 100 से अधिक ऐसे बच्चों की जान चली गई. जिन्हें बर्थ एस्फिक्सिया की बीमारी थी. इस बीमारी से पीड़ित बच्चा जन्म लेने के बाद ना तो रोता है और न ही वह ठीक से सांस ले पता है. यह चिकित्सकों के अनुसार मस्तिष्क तक ऑक्सीजन न पहुंचने के कारण यह समस्या होती है. ऐसे में अगर तुरंत इस पर ध्यान दिया जाय, तो बच्चा आगे स्वस्थ हो सकता है. अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो इससे बच्चे की जान भी जा सकती है.
जन्म के बाद नहीं रोते बच्चे
जिला महिला अस्पताल में एमडी पीडियाट्रिक्स के पद पर तैनात डॉ दिव्यांशी पलविया ने बताया कि बर्थ एस्फिक्सिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चे जन्म के बाद रोते नहीं हैं. जिन बच्चों को यह बीमारी है, उन्हें इंजरी हो सकती है. हमारे पास जब भी डिलीवरी होती है. तो एक पीडियाट्रिशियन रहता है. जिसकी वजह से जल्द ही इस बीमारी पर ध्यान दे देते हैं. बर्थ एस्फिक्सिया एक ऐसी बीमारी है, जो उन लोगों को होती है जिनमें या तो मां छोटी होती हैं. जिनकी उम्र बहुत कम होती है या कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं. जो गांव की होती हैं और उन्हें गांव से अस्पताल तक लाने में देरी हो जाती है. जिसकी वजह से उनके बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं. कभी-कभी ऑपरेशन में देरी के कारण भी यह बीमारी हो जाती है. महिलाओं का ब्लड प्रेशर हाई रहने की वजह से भी बर्थ एक्सप्रेसिया की बीमारी हो जाती है.
सालाना 100 बच्चे हो रहे ग्रसित
उन्होंने कहा कि जिस बच्चे को बर्थ एस्फिक्सिया हो गया है और पीडियाट्रिक चिकित्सक ने उसपर गौर कर लिया है, तो समय रहते बच्चों का उपचार कर बच्चों की जान बचाई जा सकती है. एक आकंड़े की बात की जाए तो सालाना 100 बच्चे इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं. ज्यादातर ग्रामीण एरिया में यह दिक्कत ज्यादा आ रही है. इसके साथ ही 30 से 35 साल तक की महिलाओं में यह समस्या देखने को मिल रही है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे आम बच्चों की तरह तेजी से ग्रोथ नहीं कर पाते. उनके दिमाग में ऑक्सीजन न पहुंचने की वजह से उन्हें यह दिक्कत हो जाती है.
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