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गुग्गुल, जिसे आयुर्वेद में ‘गुग्गुलु’ कहा जाता है, कोमीफोरा मुकुल पौधे से प्राप्त होता है और वात, पित्त, कफ संतुलित करने में सहायक है. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में इसका उल्लेख है.

जब दर्द, सूजन और थकावट सताए तब गुग्गुल काम आए, आयुर्वेद में हजारों रोग की दवा, जान लें इसके चौंकाने वाले फायदे

गुग्गुल में क्रोमियम, एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन्स जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं.

हाइलाइट्स

  • गुग्गुल जोड़ों के दर्द में फायदेमंद.
  • थायरॉइड और मोटापा में असरदार.
  • पाचन और सूजन में राहत पहुंचाए.

दुनियाभर में अनेक ऐसे पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं जिनका प्रयोग आयुर्वेद में लंबे समय से होता आ रहा है. इन्हीं में से एक है गुग्गुल, जिसे आयुर्वेद में ‘गुग्गुलु’ कहा जाता है. इसे संस्कृत भाषा में ‘महिषाक्ष’ और ‘पद्मा’ जैसे नामों से भी जाना जाता है. आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे एक बेहद प्रभावशाली औषधि माना गया है, जिसका उपयोग कई प्रकार की बीमारियों में किया जाता है.

गुग्गुल, कोमीफोरा मुकुल नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है. इसका सबसे महत्वपूर्ण गुण यह है कि यह शरीर के तीनों दोष- वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में सहायक होता है. हालांकि, यह विशेष रूप से वात दोष को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी माना जाता है. वात दोष के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द, सूजन और गठिया जैसी समस्याओं में यह काफी राहत देता है. आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में भी गुग्गुल का विस्तार से उल्लेख मिलता है. चरक संहिता में इसे मोटापा कम करने में उपयोगी बताया गया है, वहीं सुश्रुत संहिता में इसका प्रयोग 1000 से अधिक बीमारियों के उपचार में बताया गया है. विशेष रूप से इसे सर्जरी और सूजन से जुड़ी समस्याओं में प्रभावी औषधि माना गया है.

गुग्गुल में क्रोमियम, एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन्स जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे शरीर के लिए और अधिक लाभकारी बनाते हैं. यह पेट संबंधी समस्याओं जैसे गैस, खट्टी डकार, कब्ज, एसिडिटी और बवासीर जैसी समस्याओं में भी असरदार है. इतना ही नहीं, यह कान की दुर्गंध, त्वचा संबंधी रोग और रक्त विकार जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद साबित होता है. गुग्गुल की सबसे बड़ी खासियत इसकी गर्म तासीर और कड़वा स्वाद है, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है. यह औषधि थायरॉइड, पीसीओडी और हॉर्मोनल असंतुलन से जुड़ी परेशानियों में भी उपयोगी मानी जाती है, विशेषकर कांचनार गुग्गुल को इन स्थितियों में अधिक असरदार माना गया है.

कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि आयुर्वेद में गुग्गुल को एक बहुउपयोगी और शक्तिशाली औषधि के रूप में देखा गया है, जो शरीर को भीतर से स्वस्थ रखने में मदद करती है. इसके नियमित और सही तरीके से सेवन से कई पुरानी और जटिल बीमारियों से राहत पाई जा सकती है. हालांकि, इसका सेवन किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही करना बेहतर होता है.

Vividha Singh

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18…और पढ़ें

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18… और पढ़ें

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जब दर्द, सूजन और थकावट सताए तब गुग्गुल काम आए, आयुर्वेद में हजारों रोग की दवा

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