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Rampur Famous Kebab : रामपुर के नवाबी खानपान में कबाब की खास जगह है. अहमद नकवी के दादा ने नवाब कल्बे अली खान के लिए इसे बनाया था. आज भी ये शाही अंदाज़ में परोसा जाता है.

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जब नवाब साहब ने अपने खास रसोइये से की फरमाश और वजूद में आया रामपुर का ‘खास कबाब’

शाही दावतों का राज़, कैसे बना रामपुर का मशहूर सीक कबाब…

हाइलाइट्स

  • रामपुर के सिक कबाब नवाबों के पसंदीदा थे.
  • अहमद नकवी के दादा ने नवाब कल्बे अली खान के लिए बनाया था.
  • आज भी रामपुर में शाही अंदाज़ में सिक कबाब परोसा जाता है.

अंजू प्रजापति/रामपुर: रामपुर की शान हैं यहां के नवाबी खानपान की दावतें, जिनमें सीक कबाब भी शामिल है. ये कबाब सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि इतिहास में भी खास हैं. शाही कूक माहिर अहमद नकवी का खानदान इन दावतों में शाही जायकों को बरसों से पेश करता रहा है. कभी खास रहे इन सीक कबाबों का स्‍वाद इस कदर फैला कि आज ये जुबां के चहेते बन चुके हैं. नकव बताते हैं कि उनके दादा दो भाई थे, जो अहमद नकवी और गुलाम नकवी नवाब साहब के यहां खाना बनाने वाले मशहूर बावर्ची थे. वे तीसरी पीढ़ी में हैं और आज भी उसी शाही अंदाज़ में दावतें परोसते हैं.

लोकल18 अपनी खास पेशकश दस्‍तरखान में आपको उन जायकों से रुबरू करा रहा है, जिन्‍हें आप चाव से खाते तो हैं, लेकिन उनके इतिहास से वाकिफ नहीं हैं. इसी सीरीज के तहत आज हम बात कर रहे हैं रामपुर के खास सीक कबाब की.

अहमद नकवी बताते हैं कि ‘उनके दादा जान रामपुर में खाना बनाने के मामले में सबसे ज्यादा जाने जाते थे. एक बार जब नवाब साहब के लिए खाना बन रहा था, तब नवाब साहब ने अपने खास रसोइये यानि उनके दादा को बुलाया और कहा कि मियां कुछ नया और खास पकवान बनाइये’.

नकवी बताते हैं कि ‘तब उनके दादा ने बकरे के गोश्त को मसालों के साथ इलायची, पीली मिर्च और सारे खड़े मसालों के साथ बारीकी से पीसकर लोहे की सीक पर हाथ से चिपकाया और धीमी आंच पर कोयले पर सेकना शुरू किया. ये कोई आम तरीका नहीं था, बल्कि शाही अंदाज़ से किया गया काम था’.

जब नवाब साहब ने ये सीक कबाब चखा, तो वे इतने खुश हुए कि उन्होंने दादाजी को बहुत शाबाशी दी. नवाब कल्बे अली खान को ये कबाब बहुत पसंद आया और तभी से ये कबाब रामपुर की शान बन गया. आज भी रामपुर में सीक कबाब पुराने तरीके से बनाया जाता है.

चिकन कबाब की कीमत आज भी 20 रुपये है और मटन कबाब की 40 रुपये, लेकिन स्वाद और शाही अंदाज़ में कोई कमी नहीं आई है. हर मसाला, सेंकने का तरीका वही पुराना और खास होता है जो इनके दादाजी ने शुरू किया था.

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Sandeep KumarSenior Assistant Editor

Senior Assistant Editor in News18 Hindi with the responsibility of Regional Head (Uttar Pradesh, Uttarakhand, Bihar, Jharkhand, Rajasthan, Madhya Pradesh, Chhattisgarh, Himachal Pradesh, Haryana). Active in jou…और पढ़ें

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जब नवाब साहब ने अपने खास रसोइये से की फरमाश और वजूद में आया रामपुर का खास कबाब



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