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अयोध्या: आज का दिन अयोध्या समेत पूरे देश के राम भक्तों के लिए बेहद खास है. आज से ठीक 75 साल पहले 22 दिसंबर को अयोध्या में रामलला प्रकट हुए थे. जब रामलला आज से 75 साल पहले प्रकट हुए तो देश में नए अध्याय का सूत्रपात हुआ. यह दिन राम मंदिर आंदोलन का अहम पड़ाव भी है. 22 दिसंबर 1949 की आधी रात विवादित परिसर में भगवान राम की मूर्ति मिलने के बाद हिंदू समाज में उत्साह बढ़ गया था. हजारों की संख्या में राम भक्त अयोध्या में एकत्रित हो गए थे और चारों तरफ घंट-घड़ियाल की ध्वनि सुनाई दे रही थी. उस समय प्रशासन की तरफ से मात्र 3 पुजारियों को ही वहां पूजा पाठ करने की अनुमति भी मिली थी .
हालांकि मुस्लिम पक्ष ने भगवान राम की उस मूर्ति पर सवाल उठाया और हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत अभिराम दास पर 9 इंच की मूर्ति रखने का आरोप लगाया. जब यूपी सरकार मे जिला मजिस्ट्रेट केके नायर और शहर मजिस्ट्रेट गुरुदत्त सिंह से मूर्ति हटाने को कहा गया तो उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और यूपी के मुख्यमंत्री जीबी पंत समेत अपने बड़े अधिकारियों की बात मानने से साफ इनकार कर दिया. राज्य सरकार ने तब मस्जिद को बंद कर दिया, लेकिन हिंदुओं को बाहर से रामलला विराजमान की पूजा करने की अनुमति दे दी. यहां से मुकदमों की एक श्रृंखला शुरू हुई. हिंदू पक्ष से दिगंबर अखाड़ा के प्रतिनिधियों ने 1950 में और इसके बाद निर्मोही अखाड़ा ने 1959 में अदालत का दरवाजा खटखटाया.
खत्म हुआ संघर्ष
22 जनवरी साल 2024 को प्रभु राम अपने मंदिर में विराजमान हो गए है. लाखों की संख्या में भक्त दर्शन भी कर रहे है. विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि 22 और 23 दिसंबर 1949 को रामलला प्रकट हुए थे. रामलला जब 1949 को प्रकट हुए तो लोगों को अद्भुत चमत्कार भी दिखाई दिया था. यहां तक की मुस्लिम पहरेदार को भी चमत्कार दिखाई दिया था. हमें लगता है 1949 से लेकर अभी तक जो संघर्ष का समय था वो खत्म हुआ.
FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 17:57 IST
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