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Beta Blockers Drugs Side Effects: अगर बिना सोचे-समझे हार्ट-बीपी की दवाई खा लेते हैं तो सावधान हो जाएं. यह आदत जान को जोखिम में डाल सकती है.

जान जोखिम में डाल सकती है बीपी-हार्ट की यह दवा, अस्थमा के मरीजों के लिए सबसे खतरनाक, डॉक्टर ने दी चेतावनी

बीटा ब्लॉकर्स.

हाइलाइट्स

  • बीटा ब्लॉकर्स अस्थमा मरीजों के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
  • फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज बीटा ब्लॉकर्स लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.
  • कार्डियोसेलेक्टिव बीटा ब्लॉकर्स अस्थमा और COPD के लिए कम खतरनाक हैं.

Beta Blockers Drugs Side Effects: दुनिया भर में एक तिहाई लोग ऐसे होंगे जिन्हें या तो ब्लड प्रेशर हाई होगा या हार्ट से जुड़ी कोई न कोई बीमारी होगी. इन दोनों बीमारियों के लिए बीटा ब्लॉकर्स दवा दी जाती है. दुनिया भर में लाखों लोग इस दवा का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ब्रिटेन में एक भारतीय मूल के डॉ. सूज ने कहा है कि यह दवा अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. बीटा ब्लॉकर्स दवाएं दिल की धड़कन धीमी करती हैं और रक्तचाप कम करती हैं. आमतौर पर इनके कम साइड इफेक्ट मामूली होते हैं. डॉक्टर सूज ने चेतावनी देते हुए कहा कि बीटा ब्लॉकर्स अस्थमा की दवाओं के काम करने में बाधा डाल सकते हैं, जिससे कुछ मरीजों को दौरे पड़ सकता है और यह जानलेवा हो सकता है. अस्थमा में घरघराहट, खांसी और छाती में कसाव जैसे लक्षण होते हैं. सामान्य तौर पर इसे नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन जब वायुमार्ग सूज जाते हैं तो सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है तो यह जानलेवा भी हो सकता है.

लंग्स की बीमारी वाले न लें इस दवा को
डेली मेल की खबर के मुताबिक डॉक्टर सूज ने सोशल मीडिया पर बताया कि अगर आपको अस्थमा है तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए और आपको बीटा ब्लॉकर्स लेने के जोखिम और संभावित जटिलताओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए. अस्थमा के दौरे में इस्तेमाल होने वाली दवाएं बीटा एगोनिस्ट होती हैं जो फेफड़ों के नलिकाओं को खोलती हैं. उन्होंने बताया कि ये दवाएं वायुमार्ग की मांसपेशियों को आराम देती हैं जिससे सांस लेना आसान हो जाता है. लेकिन बीटा ब्लॉकर्स इस प्रभाव को कम कर सकते हैं और इससे अस्थमा के लक्षण बिगड़ सकते हैं. यह प्रभाव केवल अस्थमा वाले लोगों तक सीमित नहीं है. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) वाले लोगों को भी आमतौर पर इनहेलर दिए जाते हैं जो लंबे समय तक फेफड़ों की बीमारियों जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फ़िज़ीमा को कवर करता है. ये रोग भी सांस लेने में गंभीर कठिनाई पैदा कर सकते हैं और इस समूह के लिए भी बीटा ब्लॉकर्स खतरा हो सकते हैं.इसलिए डॉक्टर फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों को सलाह देता है कि वे बीटा ब्लॉकर्स शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि दवा सुरक्षित रहे.

नई दवाओं से खतरा कम
डॉक्टर सूज ने कहा कि उन्होंने अस्थमा वाले कई मरीज देखे हैं जो बीटा ब्लॉकर्स ले रहे हैं और उन्हें इससे कोई समस्या नहीं होती. उन्होंने कहा कि यह चर्चा हर मरीज को अपने डॉक्टर के साथ करनी चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि सही तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर बीटा ब्लॉकर्स बहुत अच्छी दवाएं हैं और नई दवाओं में सुरक्षा बेहतर हुई है. अब कार्डियोसेलेक्टिव बीटा ब्लॉकर्स उपलब्ध हैं जो मुख्य रूप से दिल पर असर करते हैं न कि फेफड़ों पर जिससे अस्थमा या COPD को कम खतरा होता है. यह चेतावनी उस समय आई है जब प्रोपैनोलोल नामक एक गैर-सेलेक्टिव बीटा ब्लॉकर के उपयोग को लेकर चिंता बढ़ रही है. प्रोपैनोलोल के अधिक मात्रा में सेवन से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे दौरे, अवसाद और यहां तक कि दिल का दौरा भी. कुछ मामलों में मरीजों को अधिक जहरीली मात्रा का सामना भी करना पड़ा है. हाल के शोध में पता चला है कि ब्रिटेन में एंग्जाइटी के इलाज के लिए प्रोपैनोलोल का इस्तेमाल काफी बढ़ गया. यह दवा रक्तचाप और दिल की धड़कन कम करके घबराहट को कम कर सकती है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज में इसके प्रभावी होने के मजबूत सबूत नहीं हैं.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें

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