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Rajasthan Parrot Smuggling: जोधपुर में जंगली तोतों की तस्करी करते हुए दो आरोपियों को वन विभाग की उड़न दस्ते की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा. यह कार्रवाई बासनी मंडी मोड़ के पास की गई, जहां आरोपियों को एक पैसेंजर टैक्सी में 165 तोतों के साथ पकड़ा गया. वन्यजीव उप वन संरक्षक (उड़न दस्ता) प्रभारी भगवाना राम को सूचना मिली थी कि दो व्यक्ति पैसेंजर टैक्सी में बड़ी संख्या में तोते लेकर जा रहे हैं. सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए भगवाना राम वनरक्षक तारा राम सीरवी, रामनिवास चौधरी, रामदीन चौधरी, मनोहर कंवर और अशोक कुमार चौधरी के साथ मौके पर पहुंचे. टीम ने टैक्सी को बासनी मंडी मोड़, झालामंड रोड के पास रोका और दो आरोपियों एजाज खान और टैक्सी चालक शौकीन को पकड़ लिया. पूछताछ में सामने आया कि आरोपी इन तोतों को अहमदाबाद भेजने की योजना बना रहे थे. साथ ही यह भी पता चला कि तोते दिल्ली से पार्सल के जरिए जोधपुर भेजे गए थे, जिसे आरोपियों ने सुबह 9 बजे प्राप्त किया था. पकड़े गए आरोपियों, जब्त टैक्सी और जंगली तोतों को उड़न दस्ता कार्यालय उम्मेद उद्यान लाया गया. पूछताछ के बाद मामला जोधपुर के उप वन संरक्षक कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने के कारण प्रशिक्षु भारतीय वन सेवा अधिकारी वेंकटेश्वर के विशेष निर्देशन में रेंज मंडोर को अग्रिम कार्रवाई के लिए सौंपा गया.
पांच पिंजरों में बंद 165 जंगली तोते बरामद
नाकाबंदी के दौरान एक ऑटो रिक्शा संदिग्ध हालत में दिखा. ऑटो को रोककर तलाशी लेने पर उसमें पांच पिंजरों में बंद 165 जंगली तोते मिले. इन तोतों को छोटे-छोटे पिंजरों में ठूंस-ठूंसकर रखा गया था, जिससे उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी. ऑटो चालक शौकीन और उसके साथी एजाज खान को मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया.
क्या है सजा का प्रावधान ?
अगर कोई व्यक्ति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति के पक्षी जैसे जंगली तोते का शिकार, व्यापार या कैद करता है, तो उसे 3 से 7 साल तक की जेल हो सकती है और 10 हजार रुपये या अधिक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. गंभीर मामलों में दोनों सजा एक साथ दी जा सकती हैं. दोषी पाए जाने पर वाहन, साधन और सामग्री भी जब्त की जा सकती है.
जंगली तोते रखना अपराध क्यों ?
भारत में जंगली जानवरों और पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 लागू है.
इस अधिनियम की अनुसूची-1 में जंगली तोते (एलेक्सेंड्रियन पैराकीट, रोज-रिंग्ड पैराकीट आदि) को पूर्ण संरक्षण प्राप्त है.
किसी भी जंगली तोते को पकड़ना, पिंजरे में रखना, बेचने या तस्करी करने पर जेल और जुमार्ने का प्रावधान है.
तोतों को प्राकृतिक वातावरण में रहने की जरूरत होती है, कैद में उनकी सेहत और उम्र दोनों पर असर पड़ता है.
पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी जंगली पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
इसलिए निशाने पर हैं जंगली तोते?
भारत में जंगली तोतों, जैसे रोज़-रिंग्ड पैराकीट की बहुत मांग है. इन्हें पालतू बनाने, अंधविश्वासों में इस्तेमाल करने या विदेशों में बेचने के लिए पकड़ा जाता है. एक तोते की कीमत ब्लैक मार्केट में हजारों से लेकर लाखों रुपये तक हो सकती है. कुछ लोग इन्हें जादू-टोने या धार्मिक अनुष्ठानों में भी इस्तेमाल करते हैं. रोज़-रिंग्ड पैराकीट अपनी सुंदरता और बोलने की क्षमता के कारण तस्करों के लिए आकर्षक शिकार होते हैं. ये तोते पालतू पक्षी बाजार में ऊंची कीमत पर बिकते हैं. भारत में इनकी तस्करी का एक बड़ा कारण यह भी है कि इन्हें धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जोड़कर बेचा जाता है. कुछ लोग मानते हैं कि तोते को पालने या छोड़ने से भाग्य चमकता है, जिसका फायदा तस्कर उठाते हैं.
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