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Parenting Tips : बच्चों का खेलकूद और मस्ती का दौर कभी भी बिना गिरने टकराने के नहीं होता. बच्चे घर में इधर उधर दौड़ते रहते हैं, कभी पलंग से गिर जाते हैं तो कभी दीवार से टकरा जाते हैं. इस दौरान माता पिता का रिएक्शन बहुत अहम होता है. कभी आपने देखा है कि जब बच्चा गिरता है तो पैरेंट्स उसे जल्दी से उठाकर कहते हैं, “कुछ नहीं हुआ, रो मत!” या फिर बच्चे के गिरने के बाद दीवार या पलंग को मारने का नाटक करते हैं. हालांकि, ये प्रतिक्रियाएं बच्चों के मानसिक विकास पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं.

बच्चों के गिरने पर क्या नहीं करना चाहिए?
इस तरह के रिएक्शन बच्चों के इमोशन्स को दबाते हैं और उनके मानसिक विकास में रुकावट डाल सकते हैं. जब बच्चे गिरते हैं या टकराते हैं, तो वे काफी असहज महसूस करते हैं और उनका रोना या घबराना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. माता पिता का यह कहना कि “रो मत, कुछ नहीं हुआ” बच्चों को यह संदेश देता है कि उनके इमोशन्स जरूरी नहीं हैं. इससे बच्चों को यह आभास होता है कि वे जो महसूस कर रहे हैं, वह सही नहीं है और उन्हें अपनी भावनाओं को दबाना चाहिए. यह बच्चों के आत्म सम्मान पर बुरा असर डाल सकता है.

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बच्चों को दोषी ठहराना सही नहीं
अगर बच्चे के गिरने पर माता पिता यह कहते हैं कि “यह दीवार की गलती है, चलो इसे मारते हैं”, तो इसका एक और गलत असर पड़ सकता है. इस तरह से बच्चा यह सीखता है कि अपनी गलतियों के लिए दूसरों को दोष देना ठीक है. यह आदत बड़े होने पर उसके जीवन में भी दिखाई दे सकती है. जब वह किसी समस्या का सामना करेगा, तो वह अपने आस पास के लोगों को दोषी ठहराएगा बजाय इसके कि वह अपनी खुद की जिम्मेदारी ले.

बॉडी पॉजिटिविटी पर ध्यान देना जरूरी
एक और जरूरी सलाह, जो कि बच्चों के मेंटल हेल्थ से जुड़ी है. अगर बच्चा किसी खास ड्रेस में दिखता है और उसमें उसे चबी या मोटा महसूस होता है, तो माता पिता को उसे इस तरह से न देखकर सकारात्मक तरीके से पेश आना चाहिए. बच्चे को मोटा या फैटी कहना बॉडीशेमिंग की श्रेणी में आता है, जो बच्चे के आत्म सम्मान और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है. बच्चों को उनके शरीर के आकार या रूप पर कभी भी आलोचना नहीं करनी चाहिए. इसके बजाय, उनका आत्म सम्मान बढ़ाने वाली बातें करनी चाहिए.

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बच्चे के गिरने पर सही प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए?
जब बच्चा गिरता है या किसी चीज से टकराता है, तो सबसे जरूरी बात यह है कि माता पिता उसे यह एहसास दिलाएं कि उसकी भावनाएं समझी जा रही हैं. अगर बच्चा रो रहा है, तो उसे शांति से समझाएं और उसे यह महसूस कराएं कि यह एक नॉर्मल बात है और वह ठीक हो जाएगा. इसके अलावा, बच्चे को यह बताएं कि किसी चीज से टकराने पर वह खुद ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह एक दुर्घटना हो सकती है. इस तरह की सकारात्मक और सहायक प्रतिक्रियाएं बच्चे को न सिर्फ मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं, बल्कि उसे भावनात्मक रूप से भी स्थिर रखती हैं. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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