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मैनचेस्टर . ये सपने का सच होने जैसे लगता है क्योंकि महज़ 48 घंटे में किसी की क़िस्मत कैसे बदलती है और उसके हाथ में कैसे कैंप नंबर 318 आ जाती है ये किसी चमत्कार से कम नही. ऐसे देश में जहाँ हर साल बड़ी तादाद में युवा तेज़ गेंदबाज़ उभरते हैं लेकिन बहुत कम ही लंबे समय तक असर छोड़ पाते हैं, अंशुल कंबोज एक अलग पहचान के साथ सामने आए है. सिर्फ़ अपने आंकड़ों से नहीं, बल्कि उस शांत, तीखी और स्किडी गेंदबाज़ी से जो बल्लेबाज़ों को चौंका देती है.

ओल्ड ट्रैफर्ड के नेट्स पर जिस तरह की गेंदबाज़ी अंशुल ने की उससे संकेत तो मिल गए थे कि टेस्ट कैंप उनसे दूर नहीं है . महज 24 साल की उम्र में, हरियाणा का यह ऑलराउंडर अब भारत का 318वां टेस्ट खिलाड़ी बन चुका है. करनाल की धूल भरी पिचों से लेकर ओल्ड ट्रैफर्ड के  ऐतिहासिक मैदानों तक, कंबोज का सफर उनकी मेहनत, हर फॉर्मेट में लगातार शानदार प्रदर्शन का ईनाम है.

गिल ने क्यों लगाई कंबोज पर मुहर 

भले ही भारत के पास तेज़ गेंदबाज़ों की भरमार है, लेकिन अंशुल कंबोज कुछ अलग तरीके के गेंदबाज नजर आए.  हाई ऑर्म एक्शन, कलाई और कंधे का शानदार कॉंबिनेशन,  दबाव में नियंत्रण,  और लगातार एक एरिया में गेंदबाजी उनको बाकी के गेंदबाजों से अलग खड़ा कती है.  सोमवार को नेट्स पर उन्होंने जिस तरह से ऋषभ पंत, शुभमन गिल और केएल राहुल को परेशान किया उससे सकेंत तो मिल गए थे कि वो सिर्फ लाइन में लगे गेंदबाज़ नहीं, बल्कि भविष्य के बड़े गेंदबाज बन सकते है. कंबोज ने हाथ में गजब का कंट्रोल है जिसकी वजह से उनकी रिस्ट से पता नहीं चलता कि वो कौन से गेंद अंदर करेंगे और कौन सी बाहर निकालेंगे.

AK 47 के नाम से मशहूर 

लंबे कद, पतली काया और तेज़ क्रिकेटिंग समझ के साथ अंशुल कंबोज ने फरवरी 2022 में हरियाणा की ओर से रणजी ट्रॉफ़ी में पदार्पण किया. शुरुआत में कोई सनसनी नहीं मचाई. बस लगातार सटीक लाइन-लेंथ डालते रहे और चयनकर्ताओं की नज़र में आ गए. नवंबर 2024 में कंबोज के करियर ने एक रोमांचक मोड़ लिया. रणजी ट्रॉफी में केरल के खिलाफ 49 रन देकर 10 विकेट लिए. यह कारनामा करने वाले रणजी ट्रॉफ़ी के इतिहास में तीसरे खिलाड़ी बने। इस प्रदर्शन ने उन्हें रातोंरात सुर्खियों में ला दिया आर. अश्विन ने भी ट्वीट किया: “ऐसे खिलाड़ी दुर्लभ हैं जो इतनी समझदारी से योजनाएं लागू करते हैं.  उसमें बुमराह जैसी मैच रीडिंग करने की छमता है.

व्हाइट बॉल से भी करते है कमाल 

कांबोज की प्रतिभा सिर्फ लाल गेंद तक सीमित नहीं है. 2023–24 विजय हज़ारे ट्रॉफी में उन्होंने हरियाणा की ऐतिहासिक जीत में अग्रणी भूमिका निभाई-10 मैचों में 17 विकेट.  दबाव में विकेट लेने और रन रोकने की उनकी क्षमता ने उन्हें टूर्नामेंट के सबसे चमकते सितारों में शामिल कर दिया. उनकी निरंतरता ने आईपीएल टीमों का ध्यान खींचा.  मुंबई इंडियंस ने उन्हें 2024 में मौका दिया, और भले ही उन्हें ज्यादा मैच न मिले, प्रतिभा की झलक सभी ने देखी.  फिर आया 2025 का आईपीएल ऑक्शन, जहाँ चेन्नई सुपर किंग्स ने उन पर भरोसा जताते हुए ₹3.4 करोड़ की मोटी रकम में खरीदा.  उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें 2024 इंग्लैंड दौरे के लिए इंडिया ए टीम में जगह दिलाई. वहाँ उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तीन पारियों में 5 विकेट लेकर चयनकर्ताओं को प्रभावित किया.

जब मिला मौका तब मारा चौका 

जब इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज़ से पहले भारत के प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ चोटिल हुए, तो आखिरकार आज वह कॉल आया और अंशुल कंबोज ने भारतीय टेस्ट जर्सी पहन ली।कड़ी ज़मीन पर नेट्स से शुरू हुआ यह सफर अब टेस्ट क्रिकेट के सबसे हरे-भरे मैदानों तक पहुँच चुका है. ये सिर्फ एक कैप नहीं, वर्षों की मेहनत, खामोशी और आत्म-विश्वास का फल है. कंबोज मैदान पर ज़ोर-शोर से जश्न नहीं मनाते और ना  वो स्लेज करते हैं,  जैसे ही भारतीय क्रिकेट तेज़ गेंदबाज़ी के नए युग में प्रवेश कर रहा है क्या पता कोई अगला नाम तेज गेंदबाजों की जमात से आए और वो नाम हो अंशुल कंबोज

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