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बिहार में डायल 112 को एकल हेल्पलाइन के रूप में विकसित किया गया है, जो पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, हाई-वे पेट्रोलिंग और डिजास्टर सेवाओं को एकीकृत करता है.

डायल 112 को हर दिन जा रहे 65 हजार से अधिक कॉल, सिर्फ इतने मिनट का है रिस्पॉन्स टाइम
मनीष वत्स. बिहार में बढ़ते अपराध के बीच एक अच्छी खबर है. तीन साल पहले बिहार में शुरू की गई एकीकृत आपातकालीन सेवा डायल-112 ने अबतक राज्य भर में 40 लाख से अधिक लोगों को त्वरित मदद पहुंचाया है. चौंकाने वाला पहलू यह कि डायल 112 से मदद मांगने के लिए हर दिन 65 हजार से अधिक कॉल किए जाते हैं. महिला सशक्तिकरण से लेकर हाई-वे पेट्रोलिंग तक, घरेलू हिंसा, सड़क हादसे से लेकर आग या मारपीट तक के मामले में डायल-112 सर्विस सुरक्षा की ढाल बनकर सामने आया है. इस सफलता को देखते हुए खुद डीजीपी विनय कुमार सामने आए और डायल 112 के पुलिसकर्मियों को सम्‍म्‍मानित किया. डीजीपी श्री कुमार ने कहा कि पुलिस विभाग औसतन 15 मिनट में सहायता पहुंचा रहा है.

बिहार की सड़कों पर दौड़ रहीं 1833 आपात गाड़ियां
परेशानी के दौरान मांगी गई मदद के आधार पर रिस्पॉन्स किए गए कॉल के आंकड़ों के लिहाज से बिहार, देश में दूसरे स्थान पर है. डायल 112 को एकल हेल्पलाइन के रूप में विकसित किया गया है, जो पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, हाई-वे पेट्रोलिंग और डिजास्टर सेवाओं को एकीकृत करता है. इस काम के लिए बिहार की सड़कों पर 1833 आपात गाड़ियां दौड़ रही हैं. जिसमें 1283 चारपहिया और 550 बाइक है. हाई-वे पेट्रोलिंग में 119 वाहन शामिल हैं. विभागीय आंकड़ों की मानें तो इन वाहनों से हर दिन औसतन 6,000 नागरिकों को मदद पहुंचाया जाता है. रिस्पॉन्स टाइम औसतन 15 मिनट का है.

इन्हें मिल चुकी है अबतक मदद
विभागीय आंकड़े बताते हैं कि घरेलू हिंसा, महिला-बच्चा अपराध के मामले में 3.57 लाख से अधिक को मदद पहुंचाई गई है. इसी तरह से स्थानीय विवाद व हिंसा के 21.79 लाख, सड़क दुर्घटनाओं में 1.84 लाख और अगलगी के 1.15 लाख से अधिक मामले में मदद की गई है. इसमें महिलाओं को भी भागीदारी दी गई है. पटना के कॉल टेकर सेंटर का संचालन भी महिला पुलिसकर्मी ही कर रही हैं. हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं, जो डायल 112 सेवा में लगे पुलिसकर्मियों की सेवा के विपरीत थे. ऐसे कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई भी की गई है.

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महिला सुरक्षा से लेकर जान बचाने तक में आगे है डायल 112

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