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Antidepressant Shrink Tumor Growth: डिप्रेशन की दवाएं ट्यूमर की ग्रोथ को रोकने में कारगर हो सकती हैं. नई स्टडी में दावा किया गया है कि ये दवाएं कैंसर से लड़ने में भी मदद करती हैं. वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च में क…और पढ़ें

डिप्रेशन की दवाएं कैंसर से लड़ने में भी कारगर ! ट्यूमर का घटाती हैं साइज, नई स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा

डिप्रेशन की दवाएं कैंसर ट्रीटमेंट के साथ और ज्यादा असरदार हो सकती हैं.

हाइलाइट्स

  • डिप्रेशन की कॉमन दवाएं ट्यूमर की ग्रोथ रोक सकती हैं.
  • SSRIs दवाएं हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती हैं.
  • SSRIs और कैंसर थैरेपी से इलाज असरदार हो सकता है.

Antidepressant & Cancer Treatment: कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसकी वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. कैंसर को लेकर दुनियाभर में लगातार रिसर्च हो रही हैं और इसके सटीक इलाज की खोज की जा रही है. समय-समय पर कैंसर के नए ट्रीटमेंट सामने आते हैं. अब अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में दावा किया है कि डिप्रेशन के लिए उपयोग की जाने वाली कॉमन दवाएं ट्यूमर की ग्रोथ को रोक सकती हैं और कैंसर से लड़ सकती हैं. ये दवाएं हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूती देकर कैंसर से बचा सकती हैं. इस रिसर्च ने कैंसर के नए ट्रीटमेंट की उम्मीदें जगा दी हैं.

अमेरिका की कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी (UCLA) के वैज्ञानिकों ने नई रिसर्च में दावा किया है कि डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कॉमन दवा सिलेक्टिव सेरोटोनिन रियूप्टेक इनहिबिटर (Selective Serotonin Reuptake Inhibitor) ट्यूमर के आकार को घटा सकती है और शरीर के इम्यून सिस्टम को कैंसर से लड़ने में ज्यादा प्रभावी बना सकती है. SSRI दवाओं को आमतौर पर डिप्रेशन समेत मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में प्रयोग किया जाता है. नई स्टडी बताती है कि इन दवाओं का इस्तेमाल अब कैंसर के इलाज में भी हो सकता है.

यह स्टडी Cell जर्नल में प्रकाशित हुई है. इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने SSRIs को चूहे और इंसान के ट्यूमर मॉडल्स पर आजमाया. कैंसर के विभिन्न टाइप जैसे- मेलानोमा, ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट, कोलन और ब्लैडर कैंसर—पर इन दवाओं का प्रभाव देखा गया. वैज्ञानिकों ने पाया कि SSRIs का उपयोग करने से ट्यूमर का आकार औसतन 50 प्रतिशत से अधिक कम हो गया और शरीर की T-Cells (रक्षा कोशिकाएं) कैंसर कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से नष्ट करने लगीं. इसके रिजल्ट देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए.

इस स्टडी की लीड ऑथर डॉ. लिली यांग ने बताया कि डिप्रेशन की दवाएं यानी SSRIs केवल ब्रेन को ही नहीं, बल्कि हमारी इम्यून T-Cells को भी खुश करती हैं, जिससे वे कैंसर से बेहतर लड़ पाती हैं. शुरू में शोधकर्ता एक एंजाइम MAO-A पर ध्यान दे रहे थे, जो सेरोटोनिन और अन्य न्यूरोट्रांसमीटर को तोड़ता है, लेकिन MAO-A से जुड़ी दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण उनका ध्यान SERT नामक प्रोटीन पर गया, जो सिर्फ सेरोटोनिन को ट्रांसपोर्ट करता है. SSRIs इस SERT को टारगेट करते हैं और यह दवाएं लंबे समय से बिना गंभीर साइड इफेक्ट्स के उपयोग में लाई जा रही हैं.

रिसर्च के दौरान यह भी देखा गया कि जब SSRIs को ट्रेडिशनल कैंसर ट्रीटमेंट के साथ मिलाकर दिया गया, तो ट्यूमर और तेजी से घटा. कुछ चूहों में तो कैंसर पूरी तरह से खत्म यानी कंप्लीट रेमिशन हो गया. इसका मतलब यह है कि SSRIs को अन्य कैंसर थैरेपी के साथ जोड़कर इलाज को और ज्यादा असरदार बनाया जा सकता है. यह खोज भविष्य में कैंसर थैरेपी के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति ला सकती है.

अब आगे वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि जो कैंसर मरीज पहले से SSRIs ले रहे हैं, क्या उनके इलाज के नतीजे बेहतर हैं? अगर हां, तो SSRIs को एक वैकल्पिक कैंसर इलाज के रूप में व्यापक रूप से अपनाया जा सकता है. क्योंकि ये दवाएं पहले से ही बाजार में उपलब्ध और सुरक्षित मानी जाती हैं. इसलिए इन्हें दोबारा इस्तेमाल करने की प्रक्रिया नई दवा बनाने की तुलना में सरल और तेज हो सकती है.

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अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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डिप्रेशन की दवाएं कैंसर से लड़ने में भी कारगर, ट्यूमर का घटाती हैं साइज: स्टडी

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