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kanpur news in hindi today: लंगूर के शावक हनु की हॉस्पिटल कर्मी लकी से ऐसी दोस्ती है कि वह उसकी एक आवाज पर ही पिंजड़े के अंदर पहुंच जाता है.

हनु
कानपुर: कहा जाता है कि अगर आप किसी पशु-पक्षी की देखरेख शुरू कर दीजिए तो निश्चित तौर पर उन्हें एक दिन आपसे ऐसा लगाव हो जाता है जैसे वह आपके परिवार का हिस्सा हों. कुछ समय पहले इसकी बानगी तब देखने को मिली थी, जब अमेठी निवासी आरिफ ने एक सारस को अपने घर पर कुछ दिनों के लिए रखा था. सारस आरिफ के साथ ही अपना अधिकतर समय व्यतीत करता था. कमोबेश अब इसी तरह की दास्तां कानपुर जू से सामने आई है.
यहां एक लंगूर का शावक ऐसा है, जिसे करीब दो माह पहले कोई घायल अवस्था में गेट पर छोड़कर गया था. उसके बाद इस पर कानपुर जू के सीनियर डॉक्टर अनुराग सिंह की नजर पड़ी तो वह दयाभाव से अस्पताल ले आए और उसका इलाज शुरू कर दिया. डा.अनुराग बताते हैं कि देखरेख और इलाज के चलते लंगूर के शावक का अस्पताल के डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ से ऐसा लगाव हो गया जैसे वह हमारी फैमिली का हिस्सा हो. हम सभी ने उसका नाम हनु रखा है. अब जैसे ही हम उसे पिंजड़े से बाहर निकालते हैं तो हनु हमारे साथ खूब उछलकूद करता है. उसे जब यहां लाया गया था, तो हमें लगा था उसकी जान नहीं बचेगी लेकिन, लंगूर के शावक हनु का बेहतर ढंग से इलाज होने से उसे एक नई जिंदगी मिल गई और हमें एक नया यार.
दिन भर करता भागदौड़, दूध और हरी सब्जियां पसंद
डा.अनुराग सिंह ने बताया कि लंगूर के शावक हनु को दूध पीना और हरी सब्जियां खाना खूब भाता है. वह दिनभर भागदौड़ करता है. हनु किसी को काटता नहीं है. कर्मी लकी से उसकी ऐसी दोस्ती है कि वह उसकी एक आवाज पर ही पिंजड़े के अंदर पहुंच जाता है. डा.अनुराग ने कहा, लंगूर की आमतौर पर औसत आयु 20 साल होती है. यह लाल मुंह वाले बंदरों की अपेक्षा कम खूंखार होते हैं.
चिड़ियाघर का बना लाडला
हनु अभी चिड़ियाघर के अस्पताल में ही रह रहा है. वह जब अपने पिंजरे से खोल दिया जाता है तो वह चिड़ियाघर प्रशासन के लोगों के साथ खेलता है. डॉक्टर के साथ खेलता है और यह सब का लाडला बना हुआ है.
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