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फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए 12 साल तक नौकरी करने के मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट ने सख्त एक्शन लिया है. हाई कोर्ट ने फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे गौरव भार्गव को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने आ…और पढ़ें

तत्‍काल प्रभाव से…, 12 सालों से कर रहा था सरकारी नौकरी, हाई कोर्ट ने लिया एक्‍शन, जानें डिटेल

ग्‍वालियर में फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी करने वाले को हटाने के आदेश दिए हैं.

हाइलाइट्स

  • गौरव भार्गव को फर्जी सर्टिफिकेट के कारण नौकरी से हटाया गया.
  • ग्वालियर हाई कोर्ट ने 12 साल की फर्जी नौकरी पर सख्त कार्रवाई की.
  • फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी पाने वालों के लिए चेतावनी.

ग्वालियर. हाई कोर्ट ने फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए 12 साल तक नौकरी करने के मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए गौरव भार्गव को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है. यह मामला 2013 में मलेरिया टेक्निकल सुपरवाइजर पद पर हुई भर्ती से जुड़ा है. नितिन गौतम और अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मुकेश, विनोद कुमार शर्मा, दाऊदयाल, गौरव भार्गव और कृष्ण कुमार शर्मा के चयन को चुनौती दी थी. याचिका में आरोप लगाया गया कि लिखित परीक्षा में अधिक अंक मिलने के बावजूद उनका चयन इसलिए नहीं हुआ क्योंकि साक्षात्कार में उन्हें जानबूझकर कम अंक दिए गए थे.

कोर्ट को बताया गया कि नियुक्ति के लिए गठित समिति में स्थानीय कलेक्टर, सीएमएचओ और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल थे. विशेष रूप से, गौरव भार्गव की नियुक्ति में यह खुलासा हुआ कि उन्होंने जिला अस्पताल शिवपुरी में 24 जनवरी से 24 अप्रैल 2006 तक ड्रेसर के रूप में सेवाएं दी थीं. तत्कालीन सीएमएचओ ने 25 अप्रैल 2006 को इसका प्रमाण पत्र जारी किया था.

हालांकि, आरटीआई से मिली जानकारी में यह प्रमाण पत्र झूठा निकला. कोर्ट को बताया गया कि गौरव ने वालंटियर के रूप में सेवाएं दी थीं. इस पर हाई कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ड्रेसर जैसे महत्वपूर्ण पद पर वालंटियर के रूप में सेवाएं कैसे दी जा सकती हैं. हाई कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर 12 साल से नौकरी कर रहे गौरव भार्गव को तत्काल हटाने का आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद अब गौरव भार्गव के पद पर नए सिरे से भर्ती की जा सकेगी. यह मामला सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता और ईमानदारी के महत्व को दर्शाता है. यह उन लोगों के लिए एक चेतावनी भी है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने की कोशिश करते हैं. कोर्ट का यह फैसला उन उम्मीदवारों के लिए न्याय का प्रतीक है जो ईमानदारी से सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं.

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‘तत्‍काल प्रभाव से’, 12 सालों से था सरकारी नौकरी में, हाई कोर्ट ने लिया एक्‍शन

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