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दरअसल, इस दिन मुंबई में एक दो नहीं बल्कि 7 बम धमाके हुए थे. इन बम धमाकों ने 187 लोगों की जान ले ली और करीब 829 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. घटना के कई साल बाद भी इस घटना को याद कर हर देशवासी की आंखें नम हो जाती है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है.
11 जुलाई 2006 शाम का वक्त था, शाम का समय होने के कारण लोकल ट्रेनों में काफी भीड़ थी. इसी दौरान करीब शाम 6 बजकर 24 मिनट पर अचानक एक ट्रेन में पहला धमाका होता है. इसके बाद एक के बाद माटुंगा रोड, माहिम जंक्शन, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरिवली पर सात धमाके हुए. यानी करीब 10 मिनट में अलग-अलग मिनटों पर सात बम धमाके हुए. आखिरी विस्फोट करीब 6 बजकर 35 मिनट पर हुआ था.
मुंबई में किन जगहों में हुआ था ट्रेन धमाका
– तीन विस्फोट बांद्रा-खार रोड, मीरा रोड-भायंदर और माटुंगा रोड-माहिम स्टेशनों के बीच हुए थे.
– तीन अन्य ब्लास्ट तब हुए, जब ट्रेनें माहिम, जोगेश्वरी और बोरीवली स्टेशनों से रवाना हो रही थीं.
-सबसे अधिक लोगों की मौतें माहिम में हुए ब्लास्ट में गई थी. चर्चगेट-बोरिवली के बीच चलने वाली लोकल में 43 लोग मारे गए थे.
-मीरा रोड-भयंदर के बीच चलने वाली लोकल में 31 लोगों की मौत हुई थी.
-चर्चगेट-विरार लोकल में 28 लोग, चर्चगेट-बोरिवली लोकल में 28, चर्चगेट-विरार (बोरिवली) लोकल में 26 लोग, चर्चगेट-बोरिवली (बांद्रा-खार रोड) लोकल में 22 और चर्चगेट लोकल में 9 लोगों की मौत हुई थी.
-पहला धमाका 6:24, दूसरा धमाका 6:24, तीसरा ब्लास्ट 6:25, चौथा 6:26 पांचवा 6:29, छठा ब्लास्ट 6:30 और सातवां ब्लास्ट 6:35 पर हुआ था.
-ये सभी बम धमाके मुंबई के वेस्टर्न लाइन पर चलने वाली लोकल ट्रेनों में अंजाम दिए गए थे.
-धमाकों के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया गया था, जिससे ट्रेनों के परखच्चे तक उड़ गए थे.
-धमाके लोकल ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में हुए और आतंकियों ने चर्चगेट से जाने वाली ट्रेनों को ही निशाना बनाया था.
मुंबई 2006 बम धमाके का कौन जिम्मेदार था?
इन बम धमाकों की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी. हालांकि शुरुआती जांच तो पुलिस ने की लेकिन बाद में इन बम धमाकों की जिम्मेदारी आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) को सौंपी गई थी. वहीं इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने 20 जुलाई को कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. वहीं 15 लोगों को फरार घोषित किया गया जिनमें से कई के पाकिस्तान में होने का शक था. जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था. नवंबर 2006 में चार्जशीट दाखिल हुई थी. इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया. इनमें से 5 को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 7 को उम्रकैद मिली.
मुंबई 2006 बम धमाके में 12 लोगों को किया गया बरी
अब कोर्ट ने इस मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को ‘विश्वसनीय और ठोस सबूतों’ के साथ साबित करने में असफल रहा. यह फैसला उस केस को पूरी तरह उलट देता है, जिसमें निचली अदालत ने सभी को दोषी ठहराया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा. सबूतों में कोई दम नहीं है. सभी 12 आरोपियों को बरी किया जाता है.’ लेकिन अब बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इन धमाकों का जिम्मेदार कौन है? जो 189 मौतें हुईं इसका जिम्मेदार कौन है?
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