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अकरकरा, जिसे Anacyclus pyrethrum कहा जाता है, उत्तरी अफ्रीका, भूमध्यसागरीय इलाकों और भारत में पाया जाता है. आयुर्वेद में इसका उपयोग दर्द, सूजन और घाव भरने में होता है. इसकी तासीर गर्म होती है.

दांत दर्द से बुखार तक, कई बीमारियों का रामबाण इलाज है अकरकरा, जानें इसके फायदे

अकरकरा का उपयोग इसकी जड़ से किया जाता है.

हाइलाइट्स

  • अकरकरा दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन में लाभकारी है.
  • अकरकरा में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं.
  • अकरकरा का उपयोग हिचकी और बुखार में भी किया जाता है.
आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जो शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करती हैं. इन्हीं में से एक जड़ी-बूटी है अकरकरा, जिसे पाइरेथ्रम रूट भी कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम है Anacyclus pyrethrum. यह एक बारहमासी (perennial) पौधा है जो मुख्य रूप से उत्तरी अफ्रीका, भूमध्यसागरीय इलाकों और भारत में पाया जाता है. भारत में यह खासतौर पर जम्मू-कश्मीर और बंगाल जैसे क्षेत्रों में देखा जाता है. यह पौधा सूरजमुखी परिवार (Asteraceae) से संबंधित होता है और जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है.

अकरकरा का उपयोग विशेष रूप से इसकी जड़ से किया जाता है. इसकी जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाया जाता है, जो कि आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल होता है. आयुर्वेद के अनुसार, इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे सेवन करते समय सावधानी बरतनी जरूरी है. अकरकरा में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, इसके जड़, पत्ते और बीजों में मौजूद तत्व दर्द कम करने, सूजन घटाने और घाव भरने में मदद करते हैं.

अकरकरा को खासतौर पर दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन में बहुत लाभकारी माना जाता है. इसके लिए इसके चूर्ण को सरसों के तेल या लौंग के तेल में मिलाकर मसूड़ों पर लगाया जाता है. यह न केवल दर्द से राहत देता है बल्कि उसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण घाव को जल्दी भरने और सूजन कम करने में मदद करते हैं. इसके अलावा, अकरकरा में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, जो इसे बुखार जैसी समस्याओं के लिए भी उपयोगी बनाते हैं. जब शरीर में वायरल संक्रमण या बैक्टीरिया की वजह से बुखार आता है, तब यह जड़ी-बूटी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर राहत देती है.

एक और रोचक उपयोग अकरकरा का हिचकी से जुड़ा है. अगर बार-बार हिचकी आ रही हो, तो अकरकरा के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा, आप इस चूर्ण को गुनगुने पानी में घोलकर भी पी सकते हैं. यह तरीका बहुत आसान और घरेलू है और अक्सर तुरंत असर करता है. चरक संहिता जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी अकरकरा का वर्णन एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में किया गया है.

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वहां इसे अग्निवेश नाम से जाना गया है, जो सूजन और घाव को ठीक करने वाली औषधियों के अंतर्गत आता है. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इसकी तासीर गर्म होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं और पेट की समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए, अकरकरा का सेवन तभी करना चाहिए जब किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह हो. यह औषधि लाभकारी जरूर है, लेकिन किसी भी जड़ी-बूटी की तरह इसका गलत या अधिक मात्रा में इस्तेमाल नुकसान पहुंचा सकता है.

Vividha Singh

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18…और पढ़ें

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18… और पढ़ें

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दांत दर्द से बुखार तक, कई बीमारियों का रामबाण इलाज है अकरकरा, जानें इसके फायदे

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