[ad_1]
Last Updated:
‘Saudagar’ Untold Story: 1991 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म ‘सौदागर’ आज भी लोगों की पहली पसंद है. इस फिल्म में दिलीप कुमार और राज कुमार 1959 की फिल्म ‘पैगाम’ के बाद दूसरी बार साथ काम करते नजर आए थे.

नई दिल्ली. बॉलीवुड के दो दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार और राज कुमार भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने शानदार अभिनय की जो छाप लोगों पर छोड़ी है, उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता. दोनों अभिनेताओं की यादें आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में जिंदा हैं.

फिल्म ‘पैगाम’ में दिलीप कुमार ने छोटे भाई और राजकुमार ने बड़े भाई का किरदार निभाया था, लेकिन कहा जाता है कि इस फिल्म में साथ काम करते समय कुछ ऐसा हुआ कि दिलीप साहब ने राज कुमार के साथ कभी काम न करने का फैसला कर लिया था.

1959 के बाद, फिर एक मौका ऐसा आया कि ये दोनों कलाकार 1991 में आई फिल्म ‘सौदागर’ में फिर से एक साथ दिखे. 32 साल बाद जब दिलीप कुमार और राज कुमार एक साथ फिल्म ‘सौदागर’ में नजर आए तो फिल्म रिलीज के साथ ही बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई.

विकिपीडिया के आंकड़ों के अनुसार, फिल्म ‘सौदागर’ 1991 की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी. इस फिल्म पर दर्शकों ने अपना भरपूर प्यार लुटाया और आज भी यह फिल्म लोगों की पहली पसंद है.

इस फिल्म से जुड़ी एक ऐसी बात आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आपको जानकारी होगी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ‘सौदागर’ के निर्देशक सुभाष घई जब इसे बनाने का मन बनाया तो उन्होंने इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ राज कुमार को लेना चाहा.

चूंकि सुभाष ये अच्छी तरह से जानते थे कि दिलीप कुमार कभी भी राज कुमार के साथ काम नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से एक कोशिश की. सुभाष घई दिलीप कुमार के घर गए और उन्हें फिल्म की पूरी कहानी सुनाई.

दिलीप कुमार को फिल्म पसंद आई और उन्होंने इस फिल्म के ऑफर को स्वीकार भी कर लिया, लेकिन बातचीत करते हुए जब दोनों घर से बाहर आए, तो सुभाष ने अपने ड्राइवर से कहा गाड़ी स्टार्ट रखना, क्योंकि उन्हें पता था कि दिलीप कुमार यह जरूर उनसे पूछेंगे कि फिल्म में दूसरा एक्टर कौन है?

फिर हुआ भी कुछ ऐसा ही, दिलीप कुमार ने सुभाष घई से पूछा कि फिल्म में दूसरा एक्टर कौन है तो सुभाष ने कहा कि दूसरे किरदार में वो राज कुमार को लेने वाले हैं और इस से पहले कि दिलीप साहब कुछ कहते, सुभाष की गाड़ी वहां से निकल गई. कहा तो ये भी जाता है कि इसके बाद कुछ दिनों के लिए सुभाष अंतर्ध्यान भी हो गए थे.
[ad_2]
Source link