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यह दिवाली खास होने वाली है क्योंकि इसी दिन भारत में बार्बी का ‘दिवाली डॉल’ नाम से देसी अवतार बच्चों के साथ होगा. बार्बी बनाने वाली कंपनी मेटल ने इस डॉल को मशहूर इंडियन डिजाइनर अनिता डोंगरे के साथ मिलकर लॉन्च किया है. इस विदेशी गुड़िया को मूनलाइट ब्लूम थीम पर इंडियन ड्रेस में पेश किया गया है. काले बालों वाली बार्बी नीले फ्लोरल प्रिंट की चोली, वेस्ट कोटी और लहंगा स्कर्ट पहने दिख रही है. कान में लंबे झुमके और हाथों में गोल्डन चूड़ियां इस डॉल को दिवाली जैसे फेस्टिवल के लिए परफेक्ट लुक दे रहे हैं. बार्बी का यह देसी लॉन्च पहली बार नहीं है. बार्बी किसने बनाई और भारत तक कैसे पहुंची, कभी सोचा है?
9 मार्च को हुआ बार्बी का जन्म
बार्बी का पूरा नाम बारबरा मिलिसेंट रॉबर्ट्स है. यह 11 इंच लंबी एक एडल्ट फैशन डॉल है जिसका जन्म 9 मार्च 1959 को हुआ. इसे अमेरिकी कंपनी मैटल ने लॉन्च किया. दुनिया की पहली बार्बी ब्लैंक एंड वाइट स्विमवियर में लॉन्च हुई थी और तब उसकी कीमत 3 डॉलर थी. बार्बी के अब तक 40 से ज्यादा इंटरनेशनल अवतार लॉन्च हो चुके हैं. बार्बी 5 बॉडी टाइप, 22 स्किन टोन, 94 से ज्यादा हेयर कलर और 13 आई कलर के साथ अब तक लॉन्च हो चुकी है.
मां ने बेटी के नाम पर बनाई डॉल
अमेरिका में रहने वालीं रुथ हैंडलर ने एक दिन अपनी बेटी को कागज की गुड़िया के साथ खेलते हुए देखा. उस समय अधिकतर कंपनी डॉल को बच्चों की शक्ल में बनाती थीं लेकिन उनकी बेटी उस गड़िया को एडल्ट के तौर देखते हुए खेल रही थी. तब रुथ के दिमाग में आया कि अब तक ऐसी कोई कंपनी नहीं है जो एडल्ट डॉल बनाती हैं. यह विचार उन्होंने अपने हस्बैंड एलियॉट के साथ शेयर किया. 1956 में रुथ हैंडली यूरोप गईं. वहां उनकी नजर जर्मन डॉल बिल्ड लिली पर पड़ी जो एक एडल्ट डॉल थी. अमेरिका पहुंचते ही उन्होंने इसी तरह की डॉल को डिजाइन करवाया और उसे अपनी बेटी बारबरा का नाम दिया. रुथ बार्बी बनाने वाली कंपनी मेटल की को-फाउंडर थीं. इसके बाद जर्मन डॉल बनाने वाली कंपनी ने मेटल पर चोरी का इल्जाम लगाकर कोर्ट केस भी किया था.
![‘दिवाली डॉल’ बार्बी की क्या है कहानी? क्यों इसे देख महिलाओं को होने लगी थी खुद से नफरत? ‘दिवाली डॉल’ बार्बी की क्या है कहानी? क्यों इसे देख महिलाओं को होने लगी थी खुद से नफरत?](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2024/10/doll-2024-10-227bd69b545f036050e244008d3e09a4.jpg)
बार्बी दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में पॉपुलर है (Image-Canva)
भारत में कब आई बार्बी
भारत में बार्बी ने 1986 में कदम रखना चाहा था लेकिन विदेश व्यापार कानून के चलते ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया. इसके बाद 1991 में मेटल ने वीआईपी सूट बनाने वाली कंपनी ब्लो प्लास्ट के साथ मिलकर इस विदेशी गुड़िया को भारत में पॉपुलर बनाया. लेकिन भारत में बार्बी का देसी अवतार पहली बार 2022 में लॉन्च हुआ. इस सांवली बार्बी को ब्लेजर, ट्राउजर के साथ झुमके पहनाए गए. यह एक वर्किंग वुमन का कैरेक्टर था जो कंपनी की सीईओ थी.
बार्बी को क्यों भाया पिंक
फैशन डिजाइनर किरण अरोड़ा कहती हैं कि पिंक कलर को लड़कियों के साथ जोड़ा जाता है और बार्बी बेबी गर्ल्स के लिए ही लॉन्च हुई थी. इसलिए बार्बी के साथ पिंक कलर जुड़ गया और फैशन वर्ल्ड में शुरूआत हुई बार्बीकोर फैशन की जो बार्बी से ही प्रेरित था. 2017 में मेटल कंपनी ने भारत में कैटरीना कैफ जैसी शक्ल की बार्बी लॉन्च की जिसे पिंक ड्रेस पहनाई गई, तभी से लड़कियां से फैशन की मुरीद हो गईं. 2022 में इसे फैशन ऑफ द ईयर माना गया. बार्बीकोर फैशन में 120 से ज्यादा पिंक कलर हैं जिसका हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों फैन है. बार्बी पर बनीं सभी फिल्मों में बार्बीकोर फैशन की झलक दिखती है.
![](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2024/10/doll-1-2024-10-7a3d870b1f3454074feadafb118bbe64.jpg)
बार्बी रूस, साऊदी अरब और ईरान में बैन है (Image-Canva)
बार्बी के फिगर पर बवाल
बार्बी जितनी मशहूर है, उतनी ही बदनाम भी है. बार्बी कई लड़कियों की रोल मॉडल बन चुकी है लेकिन उसका वजन, फिगर और सिर का साइज हकीकत से दूर है. इस पर कई लोग आपत्ति जता चुके हैं. फिनलैंड की यूनिवर्सिटी सेंट्रल हॉस्पिटल की रिसर्च के मुताबिक बार्बी का वजन महिलाओं के असली वजन से 17% कम रखा गया. उसकी लंबाई 5 फुट 9 इंच के हिसाब से 50 किलो वजन अंडरवेट कैटिगरी में आता है. 1963 में कंपनी ने बार्बी सिट्स नाम की डॉल को एक किताब के साथ लॉन्च किया जिसका टाइटल था डोंट ईट यानी मत खाओ. उस समय कई लड़कियों ने बार्बी जैसा फिगर पाने के लिए खाना छोड़ दिया था. जनरल बॉडी इमेज में छपी रिसर्च के मुताबिक छोटी बच्चियां अपने शरीर को देख नाखुश रहने लगी थीं. इसी पर मेडिकल डेली ने लिखा कि अगर हकीकत में लड़कियों का शरीर बार्बी जैसा होता तो उन्हें चलने में दिक्कत होती. वह इतनी पतली कलाई और पैरों से काम नहीं कर पातीं.
महिलाओं की बनी पहचान
बार्बी जहां बच्चों की दोस्त बनी, वहीं महिला सशक्तिकरण की पहचान भी बनी. बार्बी कभी नर्स, कभी डॉक्टर, कभी सीईओ तो कभी जज के अवतार में नजर आ चुकी है. बार्बी के 200 से ज्यादा करियर हैं और हर उसका हर करियर महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर दिखाता है. बार्बी हर महिला की ड्रीम गर्ल है जो एक फेमिनिस्ट है. बार्बी चांद पर भी पहुंची और प्रेसिडेंट भी बनी.
Tags: Export of Toys, Hollywood movies, SCHOOL CHILDREN, United States of America, Women Empowerment
FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 16:06 IST
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