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90 के दशक में दूरदर्शन पर एक ऐसा सीरियल आया था,जिसने लोगों को दीवाना बना दिया था. शो की पॉपुलैरिटी देख इस पर किताब छापनी पड़ी थी. उस शो का नाम है ‘नीम का पेड़’. शो की कहानी इतनी दमदार थी कि लोगों के जहन में आज …और पढ़ें

मजदूर के रोल से जीता था दिल
हाइलाइट्स
- दूरदर्शन का शो ‘नीम का पेड़’ 1991 में आया था.
- पंकज कपूर ने शो में बंधुआ मजदूर का रोल निभाया.
- शो की पॉपुलैरिटी पर किताब भी छापी गई थी.
नई दिल्ली. टीवी पर अब तक कई ऐसे शो आ चुके हैं, जिनके किरदारा अमर हो गए थे. ऐसा ही एक शो रहा दूरदर्शन का सीरियल ‘नीम का पेड़’. इसकी कहानी दिल छू लेने वाली थी. शो में मजबूत कहानी और पंकज कपूर के उम्दा अभिनय ने लोगों को पागल कर दिया था. साल 1954 में पंजाब के लुधियाना में जन्मे पंकज आज 71 साल के हो गए हैं.उनके इस खास दिन जानें इस शो में क्या था खास.
80 और 90 के दशक में पकंज कपूर ने टीवी पर अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी. वह देश के पहले टीवी डिटेक्टिव शो ‘करमचंद’ (1985) में नजर आए. फिर ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ (1989), ‘जबान संभाल के’ (1993) और ‘ऑफिस ऑफिस’ (2000) जैसे शो में अपनी अलग जगह बनाई.
1991 में 1 शो ने कर लिया था कब्जा
साल 1991 में आए सो नीम का पेड़ की स्क्रिप्ट राही मासूम रजा ने लिखी थी.शो के डायरेक्टर थे गुरबीर सिंह ग्रेवाल. और प्रोड्यूसर थे नवमान मलिक थे. शो के टाइटल सॉन्ग ‘मुंह की बात सुने हर कोई…’ को लिखा था निदा फाजली ने और गाया था जगजीत सिंह ने.सीरियल में गांव की कहानी दिखाई गई थी. वहां जमींदार और उसका बंधुआ मजदूर बुधई राम यानी पंकज कपूर ने अपने रोल से तहलका मचा दिया था. सीरियल में उनके अलावा अरुण बाली, एसएम जहीर, साक्षी तंवर, प्रीति खरे जैसे सितारे अहम रोल में नजर आए थे.
क्यों रखा था शो का नाम ‘नीम का पेड़’
इस सीरियल का नाम ‘नीम का पेड़’ रखने के पीछे वजह ये थी कि बुधई राम ने बेटे के जन्म पर एक नीम का पेड़ लगाया था. जैसे-जैसे उसका बेटा बड़ा होता है, वैसे-वैसे वो पेड़ भी बड़ा होता गया. लेकिन उनके बेटे की सोच नहीं बड़ी.शो की शूटिंग यूपी के सुल्तानपुर जिले के तियारी गांव में हुई थी. सीरियल के चलते यह गांव भी काफी चर्चा में आ गया था.
बता दें कि इस शो की कहानी शुरू होती है विलायत जाफरी की एक छोटी सी कहानी से. जाफरी उस वक्त दूरदर्शन लखनऊ के स्टेशन डायरेक्टर थे. उन्होंने अपनी कहानी ‘नीम का पेड़’ पर शो बनाने की जिम्मेदारी मासूम रजा को सौंपी थी. उन्होंने इसके 26 एपिसोड लिखे और साल 1992 में उनका निधन हो गया. इसके बाद बाकी एपिसोड दूसरों ने पूरे किए. कुल 58 एपिसोड वाले इस शो की पॉपुलैरिटी इतनी बढ़ गई थी कि बाद में इसी नाम से एक किताब भी छापी गई थी.
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