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Vitamin D Deficiency: एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में हर पांचवा व्यक्ति विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं. विटामिन डी हमारे लिए बेहद खास विटामिन है जो वसा में घुलता है. विटामिन डी ही कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करने में मदद करता है. इसलिए अगर विटामिन डी की कमी हो जाए तो इससे कैल्शियम की भी कमी हो जाती है. विटामिन डी शरीर में फॉस्फेट को भी रेगुलेट करता है. इस तरह यह हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है. विटामिन डी नसों की तंदुरुस्ती, मसल्स में संकुचन और इम्यूनिटी के लिए भी बहुत जरूरी है. विटामिन डी की कमी हो जाए तो इससे नसों में कमजोरी आने लगती है, मांसपेशियों में ताकत कम होने लगती है और एंग्जाइटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है. वहीं इम्यूनिटी कमजोर होने से इंफेक्शन वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इससे समझा जा सकता है कि विटामिन डी की कमी शरीर में क्या-क्या हलचल मचा सकती है. पर सवाल उठता है कि विटामिन डी की कमी होती क्यों है, खासकर तब जब हमारे देश में सूरज की रोशनी की कोई कमी नहीं है. आइए इस बारे में डॉक्टर से जानते हैं.
क्यों होती है विटामिन डी की कमी
विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूरज की रोशनी है. जब आप धूप में जाएंगे तो धूप से विटामिन डी आपकी स्किन में अपने आप सिंथेसिस होना शुरू हो जाएगा. धूप के अलावा सीमित चीजों से विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है. मछली, मशरूम, कुछ सीड्स आदि. सूरज की रोशनी की हमारे देस में कोई कमी नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि इसके बावजूद आखिर हमें विटामिन डी की कमी क्यों हो जाती है. आकाश हेल्थकेयर और इस स्टडी के सह लेखक डॉ. आशीष चौधरी बताते हैं कि आज कई सारे गैजेट्स के कारण हमारा बाहर जाना बहुत कम हो गया है. ज्यादातर लोग ऑफिस के अंदर सिस्टम पर काम करते रहते हैं. जो काम नहीं करते वे हमेशा मोबाइल पर कुछ न कुछ देखते रहते हैं. ऐसा वे घर में ही करते हैं. यहां तक कि बच्चे भी अब बाहर वाले खेल कम ही खेलते हैं. जब लोग धूप में जाएंगे नहीं तो विटामिन डी कैसे मिलेगा. यही कारण है भारत में अधिकांश लोगों को विटामिन डी की कमी होती है.
विटामिन डी की कमी से समस्याएं
डॉ. आशीष चौधरी बताते हैं कि विटामिन डी की कमी से सिर्फ हड्डियां ही नहीं बल्कि पूरा शरीर प्रभावित होता है. इससे बच्चों में रिकेट्स और बड़ों में हड्डियों की कमज़ोरी जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोमलेशिया जैसी बीमारियां होती हैं. विटामिन डी की कमी होने पर मांसपेशियों की कमज़ोरी, थकान, मूड में उतार-चढ़ाव, एंग्जाइटी और डिप्रेशन भी होते हैं. यहां तक कि इससे हार्ट डिजीज, डायबिटीज और कैंसर तक हो सकता है. डॉ. आशीष चौधरी ने बताया कि विटामिन डी की कमी एक मूक महामारी है. यह सिर्फ हड्डियों की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है.
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
यह अध्ययन इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकॉनोमिक रिलेशन ICRIER और ANVKA फाउंडेशन ने किया है. ICRIER की प्रोफेसर डॉ. अर्पिता मुखर्जी ने कहा कि यह रिपोर्ट हमें एक चेतावनी देती है कि अब और देरी नहीं की जा सकती. अगर हमने मिलकर योजना नहीं बनाई और जरूरी कदम नहीं उठाए तो विटामिन डी की कमी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन जाएगी. उन्होंने ज़ोर दिया कि अगर हमें नीतियों में अबिलंब बदलाव लाने की जरूरत है. रिसर्च में निवेश कर हम बड़े पैमाने पर इसमें सुधार कर सकते हैं. अगर हमें संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक कुपोषण खत्म करने की संकल्पना पर आगे बढ़ना है तो सबसे पहले हमें अपनी जनसंख्या से विटामिन डी की कमी को खत्म करना होगा. ICRIER के निदेशक और सीईओ दीपक मिश्रा ने कहा कि भारत को आयोडीन युक्त नमक की तरह ही एक मजबूत योजना की ज़रूरत है. मतलब – ज़रूरी चीज़ों में विटामिन डी जोड़ना (फोर्टिफिकेशन), ज़रूरतमंदों को सब्सिडी देना और बड़े स्तरों पर लोगों को जागरुक करने से विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है.
विटामिन डी की कमी कैसे पूरी करे
विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सबसे बड़ा तरीका यही है कि धूप में निकलें. दिन में कम से कम 20-25 मिनट रोज धूप में रहें. यदि चेहरे का रंग ज्यादा गहरा है तो आपको ज्यादा देर धूप में रहने की जरूरत है. गर्मी में सुबह-सुबह ही धूप ले लें क्योंकि इसके बाद धूप तेज हो जाएगी. सूरज की रोशनी के अलावा मछलियां, मशरूम, अखरोट, सीड्स आदि में विटामिन डी होता है.
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