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Paddy Farming Tips : धान की फसल में किसान अगर सफेद खाद यानि नाइट्रोजन का इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं, तो सिर्फ 3 दिन में फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच सकती है. इससे न केवल पौधे कमजोर होंगे, बल्कि खतरनाक कीट…और पढ़ें
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल में उर्वरक की संतुलित मात्रा देनी चाहिए. संतुलित मात्रा में उर्वरक की पूर्ति करने से कम लागत में किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता है. किसान धान की फसल की रोपाई के समय बेसल डोज में एनपीके, डीएपी, पोटाश और जिंक देते हैं लेकिन रोपाई के बाद किसान नाइट्रोजन देते हैं. नाइट्रोजन कभी भी रोपाई के समय नहीं देनी चाहिए.
धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद खेत में पर्याप्त नमी रहते समय उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही नाइट्रोजन का छिड़काव कभी भी तेज धूप में नहीं करना चाहिए. नाइट्रोजन का छिड़काव सुबह या फिर शाम के वक्त करें. दिन में तेज धूप होने की वजह से नाइट्रोजन उड़कर वायुमंडल में चली जाती है.
कब और कितनी बार करें नाइट्रोजन का छिड़काव?
किसान अगर दूसरी बार धान की फसल में नाइट्रोजन का छिड़काव करना चाह रहे हैं तो सिंचाई करने के दो से तीन दिन बाद नाइट्रोजन का छिड़काव करें. एक्सपर्ट द्वारा बताई हुई मात्रा में ही नाइट्रोजन का छिड़काव करना चाहिए. नाइट्रोजन का ज्यादा इस्तेमाल करने से धान का पौधा नरम होता है. जिसकी वजह कीट हमला करते हैं. पौधे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. उत्पादन भी गिर सकता है.
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