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कन्नौज: गर्मी ने इस बार अपना रौद्र रूप थोड़ा देर से दिखाया है. नौतपा के दौरान लोग जितनी गर्मी की उम्मीद लगाए बैठे थे, उतनी तो नहीं पड़ी, लेकिन उसके बाद पारा 44 डिग्री तक चढ़ने लगा है. दोपहर 10 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक ऐसा लगता है जैसे सूरज आग उगल रहा हो. ऐसे में इस प्रचंड गर्मी
तेज धूप में निकलने से बचें
डॉ. बसु बताते हैं कि ज़्यादातर लोग तेज धूप में बिना किसी सुरक्षा के निकल पड़ते हैं और जब तक उन्हें कुछ महसूस होता है, तब तक शरीर काफी हद तक डिहाइड्रेट हो चुका होता है. गर्मी में सबसे पहले डिहाइड्रेशन ही शरीर को नुकसान पहुंचाता है और यही अगर समय रहते न रोका जाए तो आगे चलकर गंभीर रूप ले सकता है.
डॉ. बसु कहते हैं कि अगर किसी को चक्कर आना, सिर दर्द होना, शरीर में कमजोरी महसूस होना, मुंह सूखना या पेशाब का रंग पीला पड़ना शुरू हो जाए, तो समझ लीजिए डिहाइड्रेशन शुरू हो चुका है. ऐसे में सबसे पहले व्यक्ति को छांव में या ठंडी जगह पर लाना चाहिए. उसके बाद उसे ORS का घोल, नींबू पानी या सादा पानी दिया जाना चाहिए. अगर हालत ज्यादा खराब हो तो देर न करते हुए तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल या हेल्थ सेंटर ले जाएं.
बचाव ही सबसे बड़ा है इलाज
सीएमएस का कहना है कि इस मौसम में “बचाव ही सबसे बड़ा इलाज” है. उन्होंने बताया कि जब भी बाहर निकलें, तो शरीर को पूरी तरह से ढककर निकलें. कॉटन के ढीले-ढाले कपड़े पहनें जो पसीना सोख सकें और हवा पास होने दें. सिर को तौलिये या गमछे से ढकें, आंखों पर चश्मा और पैरों में बंद जूते या सैंडल पहनें.
ठंडा पानी पीते समय रखें सावधानी
डॉ. बसु यह भी कहते हैं कि बहुत से लोग तेज धूप से आने के बाद फ्रिज का पानी या बर्फ वाला शरबत पीते हैं, जो खतरनाक साबित हो सकता है. इससे शरीर को झटका लग सकता है और पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए धूप से आने के कम से कम 10-15 मिनट बाद ही कोई ठंडी चीज पीनी चाहिए.
गर्मी की बढ़ती स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल प्रशासन ने पूरी तरह से तैयारी कर ली है. अधिकतम मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा दी जा रही है. अस्पताल में ORS घोल, ग्लूकोज, दवाइयां और स्टाफ की अतिरिक्त ड्यूटी लगाई गई है.
सीएमएस डॉ. शक्ति बसु कहते हैं कि यह समय बेहद संवेदनशील है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए. इन दोनों आयु वर्ग के लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए और घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए.
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