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कई रिसर्च में यह पता चला है कि नंगे बदन सोने से बॉडी का टेंपरेचर कंट्रोल में रहता है, जिससे गहरी और आरामदायक नींद आती है. जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर अपने तापमान को स्वाभाविक रूप से कम करता है और अगर हम ज्याद…और पढ़ें

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नंगे बदन सोएं या कपड़े पहनकर, क्या कहता है आयुर्वेद और विज्ञान?

नंगे बदन सोने से त्वचा को सांस लेने का अवसर मिलता है.

ऋषिकेश. हमारी जीवनशैली और स्वास्थ्य से जुड़े कई पहलुओं पर भारतीय शास्त्रों और आधुनिक विज्ञान की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं. उन्हीं में से एक विषय है नंगे बदन सोना या कपड़े पहनकर सोना. यह विषय व्यक्तिगत पसंद, मौसम, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक परंपराओं पर निर्भर करता है. भारतीय शास्त्रों में इस विषय पर एक अलग दृष्टिकोण मिलता है, जबकि विज्ञान अपने तथ्यों और शोध के आधार पर इसे देखता है. लोकल 18 के साथ बातचीत में उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित कायाकल्प हर्बल क्लिनिक के डॉ राजकुमार (डी.यू.एम.) ने कहा कि विज्ञान के अनुसार, नींद की गुणवत्ता हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है.

उन्होंने कहा कि कई शोधों में यह साबित हुआ है कि नंगे बदन सोने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे गहरी और आरामदायक नींद आती है. जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर अपने तापमान को स्वाभाविक रूप से कम करता है और यदि हम अधिक कपड़े पहनते हैं, तो यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है. इसके अलावा नंगे बदन सोने से त्वचा को सांस लेने का अवसर मिलता है, जिससे बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. यह शरीर में कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को कम करता है, जिससे चिंता और तनाव दूर होते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह भी देखा गया है कि जो लोग बिना कपड़ों के सोते हैं, उनकी त्वचा अधिक स्वस्थ और चमकदार बनी रहती है.

सर्द मौसम में हो सकता है हानिकारक
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि सर्द मौसम में बिना कपड़ों के सोना हानिकारक हो सकता है क्योंकि इससे शरीर का तापमान सामान्य से अधिक गिर सकता है और ठंड लगने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा अगर बेडशीट या गद्दा साफ नहीं है, तो इससे बैक्टीरिया और एलर्जी का खतरा भी बढ़ सकता है. वहीं आयुर्वेद के अनुसार, हमारा शरीर पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से बना है और इसे प्रकृति के साथ संतुलन में रखना जरूरी है. नंगे बदन सोने से शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा और खुली हवा का स्पर्श मिलता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और कोशिकाओं का पुनर्निर्माण तेजी से होता है. इसके अलावा शरीर को ठंडी और गर्म हवाओं का अनुभव होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है.

आयुर्वेद और विज्ञान दोनों सहमत
डॉ राजकुमार ने कहा कि नंगे बदन सोना या कपड़े पहनकर सोना यह पूरी तरह से मौसम, व्यक्तिगत सुविधा और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि प्राकृतिक वातावरण के संपर्क में रहना शरीर के लिए लाभकारी होता है. गर्मी के दिनों में हल्के या बिना कपड़ों के सोना आरामदायक हो सकता है, जबकि ठंडे मौसम में गर्म वस्त्र पहनना आवश्यक है. यदि आप नंगे बदन सोना पसंद करते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आपका बिस्तर साफ-सुथरा हो और कमरे का तापमान अनुकूल हो. वहीं यदि आपको ठंड जल्दी लगती है या किसी विशेष त्वचा संक्रमण की समस्या है, तो हल्के और आरामदायक कपड़े पहनकर सोना अधिक सुरक्षित रहेगा.

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नंगे बदन सोएं या कपड़े पहनकर, क्या कहता है आयुर्वेद और विज्ञान?

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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