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भारत के 2011 वनडे वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका अदा करने वाले युवराज सिंह अपने बेटे को क्रिकेटर बनाना नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनका बेटा ओरियन क्रिकेटर बने, लेकिन अगर वह खेलना चाहता है तो …और पढ़ें

युवराज सिंह नहीं चाहते उनका बेटा बड़ा होकर क्रिकेटर बने
हाइलाइट्स
- युवराज सिंह नहीं चाहते कि उनका बेटा क्रिकेटर बने.
- अगर बेटा क्रिकेट खेलना चाहता है, तो युवराज उसका समर्थन करेंगे.
- युवराज का मानना है कि क्रिकेट में बहुत दबाव होता है.
नई दिल्ली. दुनिया के महानतम ऑलराउंडर में शुमार युवराज सिंह किसी भी युवा क्रिकेटर के लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में जो योगदान दिया है इसे हमेशा ही याद रखा जाएगा. क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाने वाले युवराज ने एक हालिया इंटरव्यू में बेहद चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होने कहा कि वो नहीं चाहते हैं उनका बेटा बड़ा होकर क्रिकेटर बने. इसके पीछे की वजह भी उन्होंने मैं नहीं चाहता कि वह क्रिकेट खेले. अगर वह खेलना चाहता है, तो साथ दूंगा.
43 साल के पूर्व ऑलराउंडर ने 17 साल से अधिक क्रिकेट खेला और भारतीय क्रिकेट टीम के साथ वनडे वर्ल्ड कप, टी20 वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता. इसके अलावा उन्होंने सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के साथ कई आईपीएल खिताब भी जीते. चंडीगढ़ में जन्मे इस क्रिकेटर के पिता योगराज सिंह भी भारत के लिए टेस्ट और वनडे क्रिकेट खेल चुके हैं.
युवराज ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए एक महान क्रिकेटर बने लेकिन वे नहीं चाहते कि उनका तीन साल का बेटा ओरियन क्रिकेटर बने. कर्ली टेल्स यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए भारत के 2011 वनडे वर्ल्ड कप जीत के हीरो ने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनका बेटा क्रिकेट खेले लेकिन अगर वह फिर भी क्रिकेटर बनने का फैसला करता है तो वे उसका समर्थन करेंगे.
युवराज ने कहा, “क्रिकेट का बहुत शौक पड़ गया है उसे (ओरियन) क्योंकि उसने मुझे खेलते हुए देखा है. हर बार जब मैं उसे देखता हूं, वह कहता है, ‘डैड, मुझे आपके साथ क्रिकेट खेलना है,’ और मैं कहता हूं, ‘नहीं, मैं नहीं चाहता कि तुम क्रिकेट खेलो.’ मैं यह उससे नहीं कह रहा हूं, बल्कि अपने अंदर कह रहा हूं,”

युवराज सिंह पत्नी और बच्चों के साथ
उन्होंने आगे कहा, “मैं नहीं चाहता कि वह क्रिकेट खेले. अगर वह खेलना चाहता है, तो मैं उसका साथ दूंगा. मुझे लगता है कि आज के समाज में क्रिकेट खेलना बहुत दबाव भरा है. हर बच्चे की तुलना उसके पिता की विरासत से की जाती है. मुझे लगता है कि यह बहुत अनुचित है. क्योंकि हर किसी में एक जैसा टैलेंट नहीं हो सकता. किसी में होगा किसी में नहीं होगा. किसी में किसी और चीज का टैलेंट होगा लेकिन अगर वह खेलना चाहता है, तो मैं यकीनन उसका समर्थन करूंगा.”
युवराज ने 3 अक्टूबर 2000 को नैरोबी में केन्या के खिलाफ आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी मैच में भारत के लिए इंटरनेशनल डेब्यू किया था. युवराज ने भारत के लिए कुल 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 टी20 मैच खेले और तीनों फॉर्मेट में 11,000 से अधिक रन बनाए और 148 विकेट लिए. युवराज सिंह ने 18 सितंबर 2007 को इतिहास रच दिया. टी20 वर्ल्ड कप में एक ओवर में छह छक्के मारने वाले वो पहले क्रिकेटर बने. उन्होंने 2011 वनडे वर्ल्ड कप में 361 रन बनाने और 15 विकेट लेने के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था.
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