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Mukim Kala Gangster: कभी मजदूरी करने वाला मुकीम काला कैसे बना पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे खतरनाक गैंगस्टर? 2008 में साइकिल चोरी से शुरुआत करने वाले मुकीम काला ने आतंक की वो इबारत लिखी कि पुलिस तक उससे डरने लगी. शामली, सहारनपुर, कैराना, पानीपत, देहरादून से लेकर यूपी की जेलों तक उसका नाम खौफ की पहचान बन गया था. पढ़िए एक मजदूर से माफिया बनने तक की खौफनाक दास्तान…

Mukim Kala Gangster: कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड और हरियाणा तक आतंक का पर्याय बन चुका मुकीम काला अब इस दुनिया में नहीं है. मई 2021 में चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार में उसकी मौत हो गई थी. लेकिन एक दौर ऐसा भी था, जब उसका नाम सुनकर ही लोग कांप उठते थे. मजदूरी कर परिवार चलाने वाला मुकीम काला अपराध की दुनिया में ऐसा मशहूर हुआ कि वेस्ट यूपी का गैंगस्टर डॉन बन बैठा. 2008 में महज 16 साल की उम्र में उसके खिलाफ पहला केस दर्ज हुआ था.

अपराध की दुनिया में पहला कदम
2010 मुकीम काला के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. करीब 19 साल का मुकीम उस समय पानीपत में एक ठेकेदार के यहां मजदूरी करता था. लेकिन एक दिन उसने अपने साथी के साथ मिलकर ठेकेदार के 19 लाख रुपए लूट लिए और फायरिंग करते हुए फरार हो गया. यहीं से शुरू हुआ उसका अपराध का करियर.

कग्गा गैंग का वारिस बना मुकीम
2011 में पुलिस ने एक मुठभेड़ में कुख्यात गैंगस्टर मुस्तफा उर्फ कग्गा को मार गिराया. उसके बाद कग्गा गैंग की कमान मुकीम काला के हाथों में आ गई. धीरे-धीरे यह गैंग “गैंग्स ऑफ कैराना” के नाम से कुख्यात हो गया. मुकीम के गैंग में 17 शार्प शूटर थे, जिनमें से साबिर सबसे खतरनाक था.

STF के हत्थे चढ़ा, जेल में हुआ अंत
2015 में यूपी STF ने मुकीम को गिरफ्तार किया. उसे पहले सहारनपुर, फिर महाराजगंज और अंत में चित्रकूट जेल भेजा गया. वहीं, गैंगवार में मुकीम काला की मौत हो गई.

‘जिसे मौत से डर नहीं लगता था, उसका नाम था मुकीम काला’
एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि मुकीम काला का इतना आतंक था कि कई बार थानों और चौकियों को पुलिस खाली छोड़ देती थी. समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान उसका दबदबा चरम पर था. पुलिस को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानने वाला मुकीम, कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर चुका था और NIA के एक अधिकारी पर भी हमला किया था.

खौफ ऐसा कि लोग पलायन करने लगे
मुकीम का जन्म कैराना क्षेत्र के जहापुर गांव में हुआ था, और वहां उसका इतना खौफ था कि लोग अपने घर-बार छोड़कर पलायन करने लगे थे. उस पर हत्या, डकैती, लूट जैसे 60 से अधिक केस दर्ज थे.

पुलिस की आंखों में धूल झोंककर उड़ाता था नोट
पुलिस से बचने के लिए हवा में 500-500 के नोट उड़ाने की ट्रिक अपनाता था, ताकि भीड़ इकट्ठा हो जाए और वो भाग निकले. इतना ही नहीं, सहारनपुर के तनिष्क ज्वेलर्स में अपने गैंग के साथ मिलकर पुलिस की वर्दी में घुसकर 3 करोड़ की डकैती को अंजाम दिया था.

साइकिल चोरी से शुरू हुआ था क्राइम का सफर
बहुत कम उम्र में साइकिल चोरी से अपराध की दुनिया में कदम रखने वाला मुकीम, धीरे-धीरे एक डर का दूसरा नाम बन गया. उसका अंत अंततः चित्रकूट जेल में गैंगवार के दौरान हो गया.

राहुल गोयल

राहुल गोयल सीनियर पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया 16 साल से ज्यादा का अनुभव है. साल 2011 में पत्रकारिता का सफर शुरू किया. नवभारत टाइम्स, वॉयस ऑफ लखनऊ, दैनिक भास्कर, पत्रिका जैसे संस्‍थानों में काम करने का अनुभव. सा…और पढ़ें

राहुल गोयल सीनियर पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया 16 साल से ज्यादा का अनुभव है. साल 2011 में पत्रकारिता का सफर शुरू किया. नवभारत टाइम्स, वॉयस ऑफ लखनऊ, दैनिक भास्कर, पत्रिका जैसे संस्‍थानों में काम करने का अनुभव. सा… और पढ़ें

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नाम से कांपती थी पुलिस, बचने के लिए उड़ाता था नोट, UP का सबसे खतरनाक गैंगस्टर

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