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Varanasi Tirangi Barfi History: शहर के चौक स्थित तंग गलियों के बीच मशहूर मिठाई की दुकान राम भण्डार में आज भी आप इए तिरंगी बर्फी का स्वाद चख सकतें है.इसी दुकान के संचालक रहें स्वर्गीय मदन गोपाल गुप्ता ने अन्य स्…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- इस बर्फी को बनाने में दो दिन का वक्त लगता है.
- तिरंगी बर्फी को तीन स्टेप्स में बनाया जाता है.
- इस बर्फी को स्वतंत्रता प्रेमियों ने तैयार किया था.
शहर के चौक स्थित तंग गलियों के बीच मशहूर मिठाई की दुकान राम भण्डार में आज भी आप इए तिरंगी बर्फी का स्वाद चख सकतें है. इसी दुकान के संचालक रहें स्वर्गीय मदन गोपाल गुप्ता ने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की मदद लेकर इसका आइडिया इजाद किया और फिर इसे तैयार किया.
दुकान के संचालक वरुण गुप्ता ने बताया कि आजादी की लड़ाई जब अपने चरम पर थी.उस समय अंग्रेजी हुकूमतों ने तिरंगा फहराने पर रोक लगा रखी थी.ऐसे में उस समय लोगो के मन में देशभक्ति की भावना को जगाने के लिए तिरंगी बर्फी तैयार हुई थी.जिसे जब पहली बार अंग्रेजों ने देखा था तो उनके भी होश उड़ गए थे.उस समय इस बर्फी को आजादी के दीवाने फ्री में बांटा करते थे.
एक बर्फी में तीन स्वाद
दुकानदार की माने तो इस तिरंगी बर्फी को तीन स्टेप्स में बनाया जाता है. इसलिए इस एक बर्फी में तीन अलग अलग स्वाद मिलते है. बर्फी के सबसे ऊपरी सतह जो ऑरेंज रंग की होती है उसे मेवा,खोवा और केशर से तैयार किया जाता है. बीच वाले सफेद सतह खोवा और चीनी से बनाया जाता है जबकि हरी और सबसे निचले सतह को मेवे से बनाते है.इसलिए इस एक बर्फी में तीन अलग अलग स्वाद भी मिलते है और इसका रंग तिरंगे जैसा दिखता है.
इन दिनों पर खासी डिमांड
इस बर्फी को बनाने में दो दिन का वक्त लगता है.वैसे तो आम दिनों में भी इस तिरंगी बर्फी को लोग खूब पसंद करते हैं लेकिन स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व पर इसकी खासी डिमांड होती है.बात इसके कीमत की करें तो आज भी यह बर्फी 560 रुपये प्रति किलो के हिसाब स्व बिकती है.
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