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बहराइच: भारत-नेपाल सीमा पर एक खास चाट इन दिनों खूब चर्चा में है, जिसे लोग ‘घमंजा चाट’ के नाम से जानते हैं. इसका स्वाद इतना जबरदस्त है कि भारत से नेपाल जाने वाले या नेपाल से भारत आने वाले लोग बॉर्डर पार करने से पहले इसका जरूर स्वाद लेते हैं. खास बात ये है कि इस चाट को खाने के लिए न सिर्फ भारत के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते हैं, बल्कि नेपाल से भी लोग खास तौर पर यहां पहुंचते हैं.
क्या है घमंजा चाट की खासियत?
इस चाट की खास बात ये है कि इसे कई अलग-अलग चीजों को मिलाकर तैयार किया जाता है. इसमें बेसन की पकौड़ी, चना, मटर, आलू की टिक्की, मसाले और चटनी जैसी चीजें डाली जाती हैं. यह चाट खास तरीके से तवे पर बनती है, जिससे इसका स्वाद बिल्कुल अलग और यूनिक हो जाता है. इसकी कीमत भी बेहद कम है—सिर्फ 20 रुपये (भारतीय मुद्रा) और 30 रुपये (नेपाली मुद्रा) में एक प्लेट मिल जाती है. इस चाट का मज़ा लेने के लिए आपको नेपाल बॉर्डर के पास स्थित गेट के किनारे जाना होगा, जहां ‘राज चाट भंडार’ का ठेला लगा होता है. यही पर आपको इस स्पेशल घमंजा का असली स्वाद मिलेगा.
‘घमंजा’ नाम क्यों पड़ा?
‘घमंजा’ शब्द सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इसके पीछे देहाती भाषा की एक कहावत है. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में ‘घमंजा’ का मतलब होता है—कई चीजों को मिलाकर बनाना या मिला-जुला कर देना. देहात में अक्सर लोग कहते हैं, “इसने सब घमंजा कर दिया”, यानी सब कुछ इधर-उधर कर दिया. चूंकि इस चाट को भी अलग-अलग चीजों को मिलाकर बनाया जाता है, इसलिए इसका नाम ‘घमंजा चाट’ पड़ गया. बाकी चाटों की तरह यह सिर्फ आलू या मटर से नहीं बनती, बल्कि इसमें पकौड़ी, मसाले, चटनी, टिक्की—सब कुछ मिलाया जाता है.
कैसे बनती है ये खास घमंजा चाट?
चाट को बनाने वाले विजय कुमार वाला बताते है इस चाट को बनाने की प्रक्रिया बेहद खास है. सबसे पहले बेसन की पकौड़ी, उबले हुए चने, मटर, आलू की टिक्की और आलू का चौका तवे पर रखते हैं. जिसके बाद इन सभी सामग्रियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर हल्का तेल डालकर अच्छे से मिक्स किया जाता है. धीमी आंच पर इन सभी को मिलाकर पकाया जाता है ताकि सभी फ्लेवर आपस में अच्छी तरह से घुलमिल जाएं. इसके बाद देसी मसाले, मिर्च और स्वादानुसार खटाई मिलाई जाती है. जिसके बाद दोना (पत्ते का कटोरा) में ताज़ा और गरमागरम घमंजा परोसा जाता है. इस चाट का स्वाद ऐसा होता है कि इसे खाने वाले बार-बार उंगलियां चाटते रह जाते हैं.
बॉडर्र पर रुकने वाला हर यात्री उठाता है लुत्फ
इस स्वादिष्ट घमंजा चाट को बेचने वाले का नाम विजय कुमार है, जो बहराइच जिले के रुपईडीहा बॉर्डर के पास रहते हैं. उनका ठेला बॉर्डर गेट के बिल्कुल किनारे लगता है, जिसे दूर से ही आसानी से देखा जा सकता है. विजय कुमार की चाट की इतनी मांग है कि बॉर्डर पर रुकने वाले हर यात्री का ध्यान उनके ठेले की तरफ जरूर जाता है.
अगर आप भी कभी भारत-नेपाल सीमा की तरफ जाएं, तो इस देसी और देहाती घमंजा चाट का स्वाद लेना बिल्कुल न भूलें. इसका ज़ायका आपको लंबे समय तक याद रहेगा.
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