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Noida news: गौतमबुद्ध नगर में लिफ्ट खराबी की शिकायतों पर जिला प्रशासन सख्त हुआ. 80 हजार लिफ्टों में से केवल 7702 पंजीकृत हैं. बिना पंजीकरण वाली लिफ्टें बंद होंगी. जुर्माना बढ़ाकर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य.

हाइलाइट्स

  • गौतमबुद्ध नगर में 80 हजार लिफ्टों में से केवल 7702 पंजीकृत हैं.
  • बिना पंजीकरण वाली लिफ्टें बंद होंगी.
  • लिफ्ट पंजीकरण न कराने पर तीन गुना जुर्माना लगेगा.

सुमित राजपूत/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर की हाईराइज़ इमारतों में लिफ्ट खराबी की लगातार मिल रही शिकायतों और हादसों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन अब एक्शन मोड में आ गया है. जिले में इस समय करीब 80 हजार से ज्यादा लिफ्टें संचालित हो रही हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से सिर्फ 7702 लिफ्टों का ही अब तक पंजीकरण हुआ है. अब प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि उत्तर प्रदेश लिफ्ट एवं एस्केलेटर अधिनियम 2024 के तहत जिन लिफ्टों का नियमानुसार पंजीकरण नहीं कराया गया है, उनका संचालन तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा. इस फैसले का मकसद लापरवाही पर लगाम लगाकर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.

रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख थी 31 मार्च

गौतमबुद्ध नगर के डीएम मनीष कुमार की अध्यक्षता में बीते दिनों आरडब्ल्यूए और एओए प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में इस विषय पर स्पष्ट निर्देश दिए गए. डीएम ने कहा कि लिफ्ट कानून को सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है. सभी लिफ्ट मालिकों को अब नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. डिप्टी डायरेक्टर विद्युत सुरक्षा ने बताया कि 31 मार्च 2025 तक रजिस्ट्रेशन कराने की लास्ट तारीख थी, लेकिन अब दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है.

तीन गुना देकर करवाना होगा रजिस्ट्रेशन

इस समय जुर्माने की दरें पहले 7 दिन 100 प्रतिदिन, 8–15 दिन 200 प्रतिदिन, 16–30 दिन 500 प्रतिदिन थी. लेकिन अब 30 दिन से अधिक समय बीत जाने के कारण 10,000 लेट पेमेंट के साथ रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. डीएम के अनुसार अब जिन सोसायटियों ने पंजीकरण नहीं कराया है, उन्हें तीन गुना शुल्क के साथ फौरन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वरना लिफ्ट का संचालन बंद करने की कार्रवाई की जाएगी.

हर दूसरे दिन होती है लिफ्ट अटकने की घटना

डीएम ने सभी आरडब्ल्यूए और एओए प्रतिनिधियों से अपील की है कि वे अपने-अपने सोसायटी में अधिनियम की जानकारी साझा करें और लिफ्टों के नियमित रख-रखाव और जांच को प्राथमिकता दें. आपको बता दें कि जिले में हर दूसरे दिन कही न कहीं लिफ्ट अटकने और उसमें फंसने के मामले सामने आते हैं. इसके बाद भी लिफ्ट संचालकों को कोई परवाह नहीं है.

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