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एक परिवार से 7 हीरोइन, एक डायरेक्टर, एक कैमरामैन सिनेमा पर राज करते थे, क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? ये बॉलीवुड का कपूर परिवार या साउथ का NTR परिवार नहीं है. चलिए बताते हैं.

न कपूर-न NTR परिवार, 1 घर से आईं 7 हीरोइन, 1 डायरेक्टर और कैमरामैन, सिनेमा पर किया राज, फिर अचानक किया किनारा

नई दिल्ली. भारत में व्यापार से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र में परिवारों का दबदबा देखा जाता है. सिनेमा भी इससे अछूता नहीं है. अभिनेता से लेकर निर्माता तक, अपने परिवार के सदस्यों को सिनेमा में लाकर सिनेमा परिवार बना लेते हैं. भारत में हर भाषा की फिल्म इंडस्ट्री में सिनेमा परिवार हैं. लेकिन क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि एक परिवार से 7 हीरोइन, एक निर्देशक, एक कैमरामैन तमिल सिनेमा पर राज करते थे? यह सच है. तमिल सिनेमा की ‘पहली ड्रीम गर्ल’ टी.आर.राजकुमारी का परिवार ही वह परिवार है.

इस परिवार की बात करें तो शुरुआत उनकी दादी गुजलाम्बाल से करनी होगी. वह अपने समय की मशहूर कर्नाटक गायिका थीं. उनके बच्चे बाद में तमिल सिनेमा पर राज करने लगे. तंजावुर उनका मूल स्थान है. इस परिवार की पहली सिनेमा एंट्री एस.पी.एल. धनलक्ष्मी थीं. 1930 के दशक में अभिनेत्री के रूप में चमकने वाली एस.पी.एल. धनलक्ष्मी इस परिवार की पहली पीढ़ी की अभिनेत्री थीं. 1935 में नेशनल मूवी टोन के पहले फिल्म ‘पार्वती कल्याणम’ के लिए निर्माता माणिकम ने तमिलनाडु भर में योग्य कलाकारों की तलाश की. इस खोज के दौरान, उन्होंने तंजावुर में धनलक्ष्मी के नृत्य प्रदर्शन को देखा और उन्हें अपनी फिल्म की नायिका के रूप में चुना.

धनलक्ष्मी की बहन तमयन्ती भी 1930 के दशक में कुछ फिल्मों में अभिनेत्री के रूप में नजर आईं. इसके बाद टी.आर.राजकुमारी ने इस परिवार में कदम रखा. 1930 के दशक के अंत में निर्देशक के.सुब्रमण्यम ने अभिनेत्री एस.पी.एल. धनलक्ष्मी से मिलने के दौरान राजायि नाम की एक छोटी लड़की की चंचलता देखी. वह लड़की सुंदर भी थी. निर्देशक की नजर में सुंदर लड़कियां हमेशा अभिनेत्रियां बन जाती हैं. के.सुब्रमण्यम ने राजायि का नाम बदलकर राजकुमारी रखा और अपनी फिल्म ‘कच्च देवयानी’ (1941) में उन्हें अभिनय करने का मौका दिया. धनलक्ष्मी की बहन की बेटी ही यह राजकुमारी थीं.

टी.आर.राजकुमारी से पहले इस परिवार के अन्य सदस्य कुछ ही फिल्मों में नजर आए थे. लेकिन टी.आर.राजकुमारी के तमिल सिनेमा की ड्रीम गर्ल बनने के बाद, इस परिवार के और भी सदस्य फिल्म इंडस्ट्री में आए. इनमें सबसे महत्वपूर्ण टी.आर.रामन्ना थे, जो तमिल सिनेमा के निर्देशक और निर्माता थे. वह एकमात्र निर्माता थे जिन्होंने एमजीआर और शिवाजी को एक साथ फिल्म में लिया. इसके बाद टी.आर.राजकुमारी की बहू कुसलाकुमारी ने भी फिल्मों में नायिका के रूप में काम किया. 70 के दशक में उन्होंने नायिका के रूप में धूम मचाई. इसके बाद अगली पीढ़ी के रूप में अभिनेत्री धनलक्ष्मी की बेटियां सिनेमा में आईं.

वे थीं 80 के दशक में तमिल और तेलुगु सिनेमा में ग्लैमरस नायिकाएं जोथी लक्ष्मी और जयमालिनी. धनलक्ष्मी की एक और बहन के कोई बच्चे नहीं थे, इसलिए जोथी लक्ष्मी को उन्हें गोद दे दिया गया. जोथी लक्ष्मी और जयमालिनी दोनों ही ग्लैमरस गानों पर नृत्य कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थीं. एमजीआर की फिल्म ‘पेरिया इडथु पेन’ में ‘कट्टोडु कूझलाडा’ गाने से जोथी लक्ष्मी प्रसिद्ध हुईं. ‘सेतु’ फिल्म के हिट गाने ‘गाना करुंगुयिले’ पर नृत्य करने वाली जोथी लक्ष्मी ही थीं.

तमिल सिनेमा की यादगार फिल्म ‘जगन्मोहिनी’ की नायिका जयमालिनी थीं. जोथी लक्ष्मी ने 300 फिल्मों में अभिनय किया, जबकि जयमालिनी ने 500 फिल्मों में काम किया. इस परिवार की अगली पीढ़ी जोथी मीना थीं. उन्होंने ‘उल्लाथा अल्लिथा’ फिल्म में गौंडमणि के साथ अभिनय किया. उन्होंने विजय, अजित जैसे अभिनेताओं के साथ भी गानों पर नृत्य किया.

उन्होंने कुछ फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं भी निभाईं. जोथी मीना के पिता एक कैमरामैन थे. इस तरह यह पूरा परिवार तमिल सिनेमा में छाया रहा. हालांकि, अब इस परिवार का कोई भी सदस्य सिनेमा में नहीं है. हां, जोथी मीना आखिरी पीढ़ी की अभिनेत्री थीं. जोथी मीना ने एक डॉक्टर से शादी की और घर-गृहस्थी में बस गईं. उनके बेटे भी डॉक्टर बन गए हैं. इस तरह, सिनेमा परिवार अब एक चिकित्सा परिवार में बदल गया है.

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न कपूर-न NTR परिवार, 1 घर से आईं 7 हीरोइन, 1 डायरेक्टर और कैमरामैन, सिनेमा पर किया राज, फिर अचानक किया किनारा

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