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ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में ब्लैक स्पॉट बड़ी समस्या बनी हुई है. जिले में रिकॉर्ड में मौजूद 7 ब्लैक स्पॉट पर अभी सुधार काम नही हो पाया है. इससे पहले ही 12 और नए ब्लैक स्पॉट बन गए हैं. इसके चलते लोगों की मुसीबत और बढ़ गई है. दरअसल, ब्लैक स्पॉट पर फ्लाईओवर, सर्विस रोड़, सिग्नल, स्पीड ब्रेकर, पुलिस और मेडिकल वैन की तैनाती होना थी. मगर, ये सब काम नही हो पाए, जिसके चलते इन ब्लैक स्पॉट पर हादसे बढ़ गए हैं, साथ ही 12 नए ब्लैक स्पॉट बन गए हैं.

51 मौतें हो चुकी हैं
ग्वालियर में ब्लैक स्पॉट ट्रैफिक के लिए बड़ी परेशानी बन गए हैं. ग्वालियर जिले में अभी 7 ब्लैक स्पॉट हैं, जहां 2 साल में ही हादसों में 51 मौतें हो रही हैं. सड़क सुरक्षा समिति की सलाह के आधार पर ब्लैक स्पॉट पर हादसे रोकने के लिए फ्लाईओवर, सर्विस रोड, सिग्नल, स्पीड ब्रेकर, पुलिस और मेडिकल वैन की तैनाती होनी थी, लेकिन इन ब्लैक स्पॉट पर कोई काम नहीं हो पाया. इसके चलते हादसों का सिलसिला लगातार जारी है.

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सिमरिया टेकरी- कल्याणी चौराहाइन ब्लेक स्पॉट पर 2022 से 2024 के बीच 12 एक्सीडेंट हुए, जिनमें 12 लोगों की मौत हुई.
शर्मा फार्म रोड- इस ब्लैक स्पॉट पर दो साल में हुए हादसों में 19 लोगों की मौत हो चुकी है.
सिकरौदा तिराहा- इस ब्लैक स्पॉट पर 2022 से 2024 तक के बीच 24 एक्सीडेंट में 10 लोगों की मौत हुई.
जौरासी घाटी- 2022 से 2024 तक 17 एक्सीडेंट में 10 लोग की जान गई.

बढ़ते हादसों के चलते लोग भी परेशान है, लोगों का कहना है कि हर बार हादसों के बाद सुधार के वादे किए जाते हैं, लेकिन हालात में सुधार नहीं होता है.

हादसे लगातार बढ़ रहे
ब्लैक स्पॉट और ट्रैफिक लोड के चलते हादसे लगातार बढ़ रहे हैं. जनता की परेशानी को देखते हुए अधिकारियों ने सर्वे कराया है. ग्वालियर जिले का सबसे बड़ा ब्लैक स्पॉट सिकरौदा चौराहा है, जहां सबसे ज्यादा हादसे और सबसे अधिक मौतें हुई हैं. इस ब्लैक स्पॉट को लेकर स्थानीय सांसद भारत सिंह कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इसके लिए फ्लाईओवर मंजूर किया है. वहीं ग्वालियर के बारादरी और इंदरगंज चौराहे पर भी फ्लाईओवर बनेंगे जिससे इन उभरते हुए ब्लैक स्पॉट्स पर ट्रैफ़िक लोड कम करने के साथ ही हादसों की लगाम लगाई जा सके

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वहीं नगर निगम कमिश्नर संघप्रिय का कहना है कि ग्वालियर शहर के ब्लैक स्पॉट के लिए ट्रैफिक सर्वे कर प्लान बनाया जाएगा. सड़क सुरक्षा समिति और टीम के सर्वे के आधार पर जहां जरूरत होगी, सुधार कार्य किया जाएगा.

3 साल में होता है ब्लैक स्पॉट का सर्वे
हर तीन साल में ब्लैक स्पॉट का सर्वे किया जाता है, जहां हादसों में कमी आती है और उनको हटाया जाता है. जिन स्पॉट पर हादसे बढ़ जाते हैं उनको नए ब्लैक स्पॉट के रूप में जोड़ा जाता है. हैरत की बात है कि ग्वालियर के 7 ब्लैक स्पॉट पर कंट्रोल नहीं हो पाया, और अब 12 नए ब्लैक स्पॉट उभरकर सामने आ गए हैं. हालांकि सांसद और अफसरों ने जल्द फ्लाईओवर बनाकर ब्लैक स्पॉट खत्म कराने का दावा किया है.

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