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Human Story Kaushambi Women : पति की मौत के बाद स्वयं सहायता समूह सहारा बना. तीन साल काम किया. 2025 की जनवरी से खुद का काम शुरू कर दिया. परिवार चलाना दूभर हो गया, लेकिन हार नहीं मानी.

चप्पल बनाती प्रियंका सोनकर
हाइलाइट्स
- प्रियंका सोनकर ने पति की मौत के बाद परिवार संभाला.
- चप्पल बनाने का काम शुरू किया.
- प्रियंका आज महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.
Human Story Kaushambi. उत्तर प्रदेश के कौशांबी की रहने वाली प्रियंका सोनकर आज मिसाल हैं. कभी उनके पास सिर्फ पति की मौत का दु:ख, तीन बच्चों की जिम्मेदारी और आगे का अनिश्चित भविष्य था. कौशांबी के सैनी क्षेत्र के मलाका की रहने वाली प्रियंका सोनकर ने न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बनकर दिखाया, बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा हैं. उनकी तीन बेटियां हैं. 2019 में प्रियंका के पति की मौत हो गई थी. अचानक परिवार की आय का श्रोत बंद हो गया. ऐसी स्थिति में परिवार चलाना दूभर हो गया, लेकिन हार नहीं मानी.
ऐसी चला रहीं परिवार
साल 2021 में प्रियंका ने एक स्वयं सहायता समूह से जुड़कर काम शुरू किया. बाद में लोन लेकर चप्पल बनाने की मशीन खरीद ली और यूट्यूब पर चप्पल बनाने का काम सीखा. बीते पांच महीनों से प्रियंका चप्पलें बना रही हैं. हालांकि चप्पल बनकर तैयार हो जाता है, लेकिन जब उसे बेचने की बारी आती है तो दिक्कतें भी होती हैं. कुछ चप्पलें दुकानदार घर से ही खरीद ले जाते हैं. जो भी बचता है उसे फुटकर रेट पर गांव में ही बेच दिया जाता है. इसी से परिवार चलता है.
अभी कम मुनाफा
प्रियंका सोनकर बताती हैं कि साल 2019 में पति की मौत के बाद परिवार चलाने में बहुत कठिनाई आई. 2021 में समूह में जुड़ गई, जहां करीब तीन साल काम किया. इसके बाद लोन लेकर चप्पल बनाने की मशीन खरीदी. यूट्यूब का सहारा लेकर चप्पल बनाने का काम सीखा. जनवरी से काम करना शुरू कर दिया. इस काम से अभी तो थोड़ा ही लाभ होता है, जिससे किसी तरह परिवार का गुजरा हो जाता है. अभी चप्पल बेचने में बहुत दिक्कत हो रही है. हालांकि काफी चप्पलें दुकानदार फोन करके खुद ही घर से ले जाते हैं. बाकी बचा माल गांव में ही फुटकर भाव बेच दिया जाता है.
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