Latest Posts:
Search for:

[ad_1]

गुड़गांव: भरोसा एक ऐसी चीज है, जिसे अगर आप गलत व्यक्ति पर कर लो तो लेने के देने पड़ सकते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ शांति और रामलाल के साथ. जिन्होंने एक ऐसा आदमी पर भरोसा किया जिसने उन्हें लगभग रोड पर ला दिया. चलिए आपको बताते हैं पूरी कहानी क्या है.

दरअसल, शांति एक रिटायर्ड सरकारी शिक्षिका हैं, उनके 67 साल के रामलाल पति को 2020 में ब्रेन स्ट्रोक के बाद आंशिक लकवा हो गया था. एक दिन जब दोनों पति-पत्नी मुरथल के एक ढाबे पर सुबह का नाश्ता कर रहे थे, उनकी मुलाकात मोहम्मद कासिम से हुई, जिसने खुद का नाम नितिन अग्रवाल बताया. कासिम ने बड़े विश्वास के साथ बताया कि उसके पिता को भी लकवा था, लेकिन दिल्ली के द्वारका में रहने वाले ‘डॉ. आर. जेरीवाला’ ने उन्हें पूरी तरह ठीक कर दिया. उसने शांति को एक फोन नंबर और पता दिया, जिससे रामलाल और शांति को उम्मीद की किरण दिखी.

अगले कुछ दिनों में कासिम ने चालाकी से रामलाल और शांति का भरोसा जीत लिया. उसने कई फोन कॉल्स करवाए, जिसमें कुछ लोग उसके माता-पिता बनकर बात करते थे. इन कॉल्स में डॉ. जेरीवाला की तारीफों के पुल बांधे गए. लेकिन जब रामलाल ने डॉक्टर से मिलने की कोशिश की, तो समीर ने बहाने बनाए कि डॉक्टर दुबई और कनाडा में व्यस्त हैं. कई दिनों की कोशिश के बाद आखिरकार 4 दिसंबर को डॉक्टर के आने की बात पक्की हुई.

5000 रुपये में एक बूंद खून
डॉक्टर रामलाल के घर आया. समीर ने पहले ‘गर्म तौलिया थेरेपी’ दी, फिर डॉ. जेरीवाला आए, उन्होंने रामलाल के लकवाग्रस्त हिस्सों पर ब्लेड से छोटे-छोटे चीरे लगाए और एक पाइप से खून चूसकर बाहर निकाला. खून को एक खास केमिकल वाली जगह पर डाला गया जिससे खून पीला हो गया. डॉ. जेरीवाला ने दावा किया कि यह ‘जहरीला खून’ था, जिसे निकालने से रामलाल ठीक हो जाएंगे. उन्होंने यह कहकर कि इस प्रक्रिया में उनकी जान को भी खतरा था, क्योंकि जहरीला खून उनके मुंह में गया था और उन्हें खास दवाइयां लेनी पड़ती थीं हर बूंद खून के लिए 5,000 रुपये मांगे और कुल मिलाकर उन्होंने 25 लाख रुपये का बिल थमा दिया.

रामलाल और शांति ने 1 लाख रुपये नकद दिए और बाकी राशि बाद में देने का वादा किया. अगले दिन डॉ. जेरीवाला ने फोन करके 19 लाख रुपये तुरंत ट्रांसफर करने का दबाव डाला यह कहकर कि और दवाइयां भेजनी हैं. जैसे ही पैसा ट्रांसफर हुआ सारे फोन बंद हो गए. शांति को शक हुआ कि वे ठगे गए. उन्होंने सेक्टर 65 पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की और 23 दिसंबर 2024 को डॉ. जेरीवाला, नितिन मीनाक्षी और समीर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ.

फिर पकड़ा गया गिरोह 
पुलिस के लिए इस गिरोह को पकड़ना आसान नहीं था. महीनों की मेहनत के बाद एक मोबाइल नंबर राजस्थान के सनोद गांव में सक्रिय मिला. लेकिन वह फोन एक मजदूर महिला के पास था, जिसे इस धोखाधड़ी का कोई अंदाजा नहीं था. पूछताछ में पता चला कि एक मोबाइल दुकान नकली पहचान पत्रों से सिम कार्ड बेच रही थी. चार महीने की जांच के बाद 4 अप्रैल 2025 को कासिम को सनोद गांव से गिरफ्तार किया गया. उसने कबूल किया कि उसे इस धोखाधड़ी से 2.5 लाख रुपये मिले थे. इसके बाद समीर के भाई आमिर को भी पकड़ा गया जिसे 1.5 लाख रुपये मिले थे. डॉ. जेरीवाला जिनका असली नाम मोहम्मद जाहिर था और समीर ने 20 लाख रुपये जमा करके अग्रिम जमानत हासिल कर ली थी. यह राशि पीड़ितों को लौटा दी गई.

[ad_2]

Source link

Author

Write A Comment