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Agency:News18 Uttar Pradesh

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पिछले 15 साल से सुरेंद्र कुमार परंपरागत खेती को कर किसानों को जागरुक कर रहे हैं. इस काम की वजह से उन्हें 100 से ज्यादा बार सम्मानित किया जा चुका है. इतना ही नहीं सुरेंद्र, देसी बीजों का संरक्षण करते हैं और किसा…और पढ़ें

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परंपरागत खेती के साथ किसानों को फ्री में ट्रेनिंग देता है ये किसान, अनूठे काम के लिए मिल चुका है कई सम्मान

परंपरागत खेती को बचाने में जुटे सुरेंद्र को लोग कहते थे पागल

सहारनपुर का एक किसान पिछले 15 साल से अपनी परंपरागत खेती को बचाने का प्रयास कर रहा है. किसान सुरेंद्र कुमार ऑर्गेनिक खेती करते हैं. साथ ही देसी बीजों को तैयार कर किसानों को निशुल्क में वितरित करते हैं. सुरेंद्र कुमार परंपरागत खेती को बचाने और ऑर्गेनिक खेती करने के लिए 100 से ज्यादा बार सम्मानित हो चुके हैं. उन्हें एक बार नेशनल स्तर पर सम्मान भी मिल चुका है. सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि पहले वह भी रासायनिक तरीके से खेती किया करते थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने उद्यान विभाग में पहुंचकर प्राकृतिक खेती को हो रहे नुकसान को सुना तो उन्होंने परंपरागत खेती को करना ही पसंद किया. इसके बाद परिजनों ने भी उनको बहुत कुछ कहा, लेकिन सुरेंद्र बिना किसी की सुने अपने काम पर लगे रहें.

15 सालों से कर रहे हैं परंपरागत खेती

आज 15 साल हो चुके हैं उन्हें परंपरागत खेती करते हुए. आज किसान सुरेंद्र कुमार के नाम से PVR में लगभग सब्जियों के दर्जनों से अधिक बीज संरक्षित हैं. सुरेंद्र कुमार 100 से अधिक बार सम्मानित हो चुके हैं जिसमें उनको नेशनल स्तर का सम्मान भी मिल चुका है. सुरेंद्र कुमार देसी बीजों को तैयार करते हैं और किसानों को निशुल्क में वितरित करते हैं जिससे कि वह अपनी परंपरागत खेती की ओर बढ़े और रासायनिक विष की खेती से हो रहे नुकसान से बचा जा सके.

लोगों ने तोड़ना चाहा आत्मविश्वास

किसान सुरेंद्र कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि वह पिछले 15 साल से प्राकृतिक खेती कर आगे बढ़ रहे हैं. पहले वह भी रासायनिक खेती किया करते थे. अधिकारियों ने उनको प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने की सलाह दी साथ ही सपोर्ट भी किया. उद्यान विभाग की ओर से भी उनको प्रोत्साहित किया गया जिसमें सुरेंद्र कुमार ने विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग ली. भाजपा सरकार आने के बाद एक आवाज उठी किसान रसायन की खेती को छोड़कर किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें, क्योंकि रासायनिक खेती से स्वाद खत्म हो रहा है और बीमारियां बढ़ रही हैं.

रसायन मुक्त खेती है जरूरी

इसके बाद सुरेंद्र कुमार ने उद्यान विभाग से ट्रेनिंग ली. साथ ही साथ मेला भ्रमण कार्यक्रम में भी प्रतिभाग किया. विभिन्न किसानों से सुरेंद्र की मुलाकात होती चली गई जिसमें यह निकल कर आया कि आज जो विष मुक्त खेती है वह जरूरी है, क्योंकि रासायनिक खेती का स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है. लोग बीमार हो रहे हैं. आने वाली जनरेशन पर बुरा असर पड़ रहा है.

किसानों को देते हैं मुफ्त में देसी बीज

साथ ही किसान सुरेंद्र कुमार के नाम से PVR में सब्जियों के कई बीज संरक्षित है और किसान सुरेंद्र कुमार इन देसी बीजों को किसानों को निशुल्क देते हैं, जिससे कि किसान इन देसी बीजों से प्राकृतिक खेती कर परंपरागत खेती की ओर बढ़े.

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सालों से अपनी परंपरागत खेती को बचाने में जुटा यह किसान, मिला चुका है सम्मान

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