[ad_1]
बाज़ार में कई महंगे प्रोडेक्ट्स हैं, जिनसे इन समस्या से निज़ात पाया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर लोग प्राकृतिक तरीकों को ही सही उपाय समझते हैं. उत्तराखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कुछ ऐसे घरेलू नुस्खें (Home Remedies) हैं, जो आजमाए जाते हैं. दादी-नानी के परखे हुए इन तरीके से चंद दिनों में आपको राहत मिल सकती है. जानकार दमयंती भट्ट ने उन तरीकों को साझा किया. आइए, विस्तार से समझते हैं.
4-5 लहसुन की कलियां लेकर नारियल तेल में धीमी आंच पर गर्म करें. लहसुन सुनहरा हो जाए तो तेल को ठंडा करके छान लें. इस तेल को दिन में दो बार खुजली या दाग वाली जगह पर लगाएं. लहसुन में एंटीफंगल गुण होते हैं और नारियल तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है. यह मिश्रण खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में काफी प्रचलित है.
नीम के पत्तों को पीसकर उसमें सरसों या नारियल तेल मिलाएं. इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें. नीम एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है, जो रैशेज और खुजली को तेजी से ठीक करता है.
बेसन और हल्दी का लेप
नींबू का रस बेहद फायदेमंद
एक नींबू को काटकर सीधे प्रभावित जगह पर रगड़ें. 10 मिनट बाद साफ पानी से धो लें. नींबू लगाने के बाद धूप में न जाएं, वरना स्किन जल सकती है.
अनार के सूखे छिलकों को पीसकर पाउडर बना लें. इसमें थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं. दाग-धब्बों पर लगाएं और सूखने पर धो दें. अनार में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो त्वचा की मरम्मत में मदद करते हैं.
प्याज का रस
ये तरीका बेहद पुराना है. एक प्याज को पीसकर रस निकालें. प्रभावित जगह पर दिन में एक बार लगाएं. अगर जलन महसूस हो तो पानी से तुरंत धो लें. इन घरेलू उपायों से न सिर्फ आपकी त्वचा को राहत मिलेगी, बल्कि स्किन कोमल और साफ भी बनी रहेगी. बारिश के मौसम में स्किन की सही देखभाल बेहद जरूरी है.
[ad_2]
Source link