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Jaunpur Ajab Gajab Wedding : सामान्य मेल-मुलाकात से शुरू हुआ ये रिश्ता धीरे-धीरे गहराता चला गया. बातचीत और मुलाकातों ने कब दोनों को एक-दूसरे का हिस्सा बना दिया, ये खुद उन्हें भी नहीं पता चला.

प्रेमी के घर लेकर पहुंची बारात
हाइलाइट्स
- मायके लौट आई और अजय से दोबारा संपर्क किया.
- रजमंदी से बारात लेकर अजय के घर पहुंची.
- प्रेम की जीत हुई और इलाके में चर्चा का केंद्र बना.
Ajab Gajab/जौनपुर. ये प्रेम कहानी हर किसी के जुबान पर है. इसने साबित कर दिया कि सच्चा प्रेम हर दीवार को तोड़ सकता है. ये कहानी है जौनपुर जिले के भटौली गांव निवासी अजय कुमार गौतम और बड़सरा पिलकिछा गांव की रहने वाली शिवकुमारी की, जिनका रिश्ता परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ने के बावजूद अंततः अपने मुकाम तक पहुंच गया. जैसे एंड फिल्मी है, इस प्रेम कहानी की शुरुआत भी फिल्मी रही. अजय की बहन की शादी शिवकुमारी के गांव में हुई. इसी वजह से अजय का वहां आना-जाना लगा रहता था. इसी दौरान मिली शिवकुमारी. शुरुआत में सामान्य मेल-मुलाकात से शुरू हुआ ये रिश्ता धीरे-धीरे गहराता गया. बातचीत, मुस्कानें और मुलाकातों के सिलसिले ने कब दोनों को एक-दूसरे के जीवन का हिस्सा बना दिया, ये खुद उन्हें भी पता नहीं चला. दोनों ने एक साथ रहने की कसमें खाईं. लेकिन हर प्रेम कहानी आसान नहीं होती.
पता चलते ही उखड़े परिवार
जब दोनों ने अपने रिश्ते को शादी का जामा पहनाने की बात अपने-अपने परिवारों से की तो शिवकुमारी के घरवालों ने इसका कड़ा विरोध किया. परिवार की इज्जत, जात-पात और सामाजिक दबाव के चलते उन्होंने शिवकुमारी की शादी कहीं और तय कर दी. शिवकुमारी चाह कर भी अपने प्रेम को नहीं बचा सकी. उसकी शादी किसी और से हो गई. मगर सच्चा प्रेम भले ही दब जाए, पर खत्म नहीं होता. शादी के बाद भी शिवकुमारी का मन अपने पुराने प्रेमी अजय में ही रमा रहा. वो अपने वर्तमान वैवाहिक जीवन में न तो खुश थी और न ही संतुष्ट. कुछ ही महीनों में उसने साहसिक निर्णय लिया. अपने ससुराल को छोड़कर वह मायके लौट आई और अजय से दोबारा संपर्क किया. अजय भी अपने प्रेम को नहीं भूला था. दोनों ने मिलकर फिर से साथ जीने की चाह जताई.
शादी के बाद लौट आई घर
इस बार शिवकुमारी के परिवार वालों ने उसकी जिद और भावनाओं को समझा. उन्होंने अजय से शादी की मंजूरी दे दी. मगर जब उन्होंने ये बात अजय के घरवालों से कही, तो उन्होंने बारात ले जाने से इनकार कर दिया. उन्हें समाज की बातें, बदनामी और परंपरा का डर था. लेकिन शिवकुमारी के इरादे अब मजबूत हो चुके थे. 5 मई को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जो आमतौर पर भारतीय समाज में दुर्लभ है. शिवकुमारी खुद दुल्हन के रूप में तैयार होकर अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ बारात लेकर अजय के घर भटौली गांव पहुंच गई. गांव वालों की नजरों के बीच, तमाम सवालों और चौंकते चेहरों के बावजूद, दोनों ने पूरे रीति-रिवाज के साथ विवाह कर लिया.
ये विवाह अब इलाके में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. कोई इसे प्रेम की सच्ची जीत मान रहा है, कोई इसे महिला सशक्तिकरण की मिसाल बता रहा है, तो कुछ लोग इसे सामाजिक मर्यादा के विरुद्ध भी कह रहे हैं. मगर इन सबके बीच एक बात तो साफ है — अजय और शिवकुमारी ने अपने प्रेम को सामाजिक मंजूरी दिलाकर ये साबित कर दिया कि जब इंसान ठान ले, तो कोई भी परंपरा, कोई भी रुकावट उसकी राह नहीं रोक सकती.
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